ब्लैक फंगस में दिया जा सकता है पोसाकोनाजोल इंजेक्शन

ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार के लिए पोसाकोनाजोल इंजेक्शन दिया जा सकता है। प्रदेश में ब्लैक फेगस की रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 08:35 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 08:35 PM (IST)
ब्लैक फंगस में दिया जा सकता है पोसाकोनाजोल इंजेक्शन
ब्लैक फंगस में दिया जा सकता है पोसाकोनाजोल इंजेक्शन

राज्य ब्यूरो, शिमला : ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार के लिए यदि एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है तो पोसाकोनाजोल इंजेक्शन दिया जा सकता है। यह सिफारिश केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टास्क फोर्स ने की है। दिमाग में ब्लैक फंगस और गंभीर रोगियों के इलाज के लिए हिमाचल प्रदेश में एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कमी का मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था।

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में दाखिल दो मरीजों को इंजेक्शन न मिलने की बात को सामने लाया गया था। ऐसे में प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए नई एडवाइजरी जारी कर दी है। ब्लैक फंगस के गंभीर मरीजों और जिनके दिमाग तक ब्लैक फंगस का असर हो गया है, उन्हें किडनी को प्रभावित करनी वाली दवा नहीं दी जाएगी। एंफोटेरिसिन बी डीआक्सीकोलेट किडनी के लिए अधिक विषाक्त है। इसलिए इसके प्रयोग के समय किडनी के कार्य की निगरानी और इलेक्ट्रोलाइट अंसतुलन की निगरानी आवश्यक है। लिपोसोमल एमंफोटेरिसिन बी को उन रोगियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनके मस्तिष्क में म्यूकोर्मिकोसिस है या उन रोगियों में जो एंफोटेरिसिन बीडीओक्सीकोलेट को सहन नहीं कर सकते हैं। संयुक्त टास्क फोर्स ने सिफारिश की है कि एंफोटेरिसिन बी उपलब्ध नहीं होने के मामलों में या एंफोटेरिसिन बी सहन नहीं कर पाने वाले रोगियों में पोसाकोनाजोल इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है।

कोविड-19 एसोसिएटिड म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार व प्रबंधन और इससे संबंधित अन्य विषयों पर एडवाइजरी को प्रदेश के सभी जिलों में भेजा गया है। कोविड-19 के लिए गठित नेशनल टास्क फोर्स ने कोविड-19 एसोसिएटेड म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार की समीक्षा कर, उपचार के संबंध में विभिन्न उपचार विकल्पों की सिफारिश की हैं। टास्क फोर्स के अनुसार एंफोटेरिसिन बी, एंफोटेरिसिन लिपिड कांप्लेक्स, लिपोसोमल और एम्फोटेरिसिन बी डीआक्सीकोलेट दोनों ही रूपों में सीएएम मामलों के उपचार के लिए समान रूप से प्रभावकारी है।

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हिमाचल प्रदेश में ब्लैक फंगस के 17 मामले सामने आए हैं। इनमें कांगड़ा जिला में सात, हमीरपुर में पांच, सोलन व शिमला में 2-2 और मंडी में एक मामला है। इनमें से चार मरीजों की मौत हो चुकी है।

-डा. निपुण जिदल, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

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