बिल्डरों को अनुबंध के तहत देना होगा फ्लैट व प्लॉट

बाइस दिन पहले स्वतंत्र रुप से अस्तित्व में आए रेरा(रीयल इस्टेट रेग्यूलेटर अथॉरिटी)ने बिल्डरों के होश ठिकाने लगाकर रख दिए हैं। ग्राहकों से लाखों रुपये लेकर प्लॉट व फ्लैट के लिए बिल्डरों से परेशान लोग धडाधड रेरा के पास पहुंच रहे हैं। बिल्डरों के सताए लोग बड़ी संख्या में रेरा के पास पहुंच रहे हैं। लाखों एंठने के बाद लोगों के फोन नहीं उठाना और उपलब्ध नहीं होना बिल्डरों की आदत बन चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 08:37 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:37 PM (IST)
बिल्डरों को अनुबंध के तहत देना होगा फ्लैट व प्लॉट
बिल्डरों को अनुबंध के तहत देना होगा फ्लैट व प्लॉट

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

हिमाचल में 22 दिन पहले स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने बिल्डरों के होश ठिकाने लगा दिए हैं। लाखों रुपये लेकर प्लॉट व फ्लैट के लिए बिल्डरों से परेशान कई लोग रेरा के पास पहुंच रहे हैं। लाखों रुपये लेने के बाद लोगों के फोन नहीं उठाना और न मिलना कई बिल्डरों की आदत बन चुकी है।

रेरा अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि अब प्रदेश में घर का सपना देखने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ बिल्डरों की धोखाधड़ी नहीं चलेगी। बिल्डरों को लोगों के साथ लिखित अनुबंध के मुताबिक फ्लैट व प्लॉट देना होगा। ऐसा न करने की स्थिति में बिल्डरों से कुल प्रोजेक्ट की लागत का दस फीसद तक जुर्माना लगाया जाएगा। जो बिल्डर पंजीकृत नहीं हें, उन्हें पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकृत बिल्डरों को कानून के प्रावधानों के तहत राशि प्रोजेक्ट पूरा होने तक बैंक में जमा करवानी होगी।

उन्होंने कहा कि आवासीय कॉलोनियों में लोग ज्यादा परेशान हैं। रेरा कानून के तहत 500 वर्गमीटर तक के व्यावसायिक परिसर के साथ-साथ आठ या इससे अधिक संख्या में आवासीय फ्लैट बनाने वाले बिल्डरों को रेरा के तहत अनिवार्य तौर पर पंजीकरण करवाना होगा। तीन सप्ताह के भीतर 70 बिल्डरों ने पंजीकरण करवाया है। इनमें से 45 बिल्डरों का पंजीकरण किया जा चुका है। धर्मशाला में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के तहत रियल एस्टेट कारोबारियों के साथ एमओयू हुए हैं। अब कारोबार शुरू करने वाले बिल्डरों को पंजीकरण करवाना होगा। बिना पंजीकरण के अब राज्य में कोई निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा। हर कस्बे में प्रॉपर्टी का लेन-देन

हिमाचल के प्रत्येक कस्बे में कई लोग प्रॉपर्टी के लेन-देन का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ फ्लैट व प्लॉट की बिक्री हो रही थी। कई कामकाजी लोग स्वयं जमीन की खरीद में उलझने के बजाए बिल्डरों व प्रॉपर्टी डीलरों के चंगुल में फंसते रहे हैं।

हिमाचल में रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट को लागू करने के मकसद से सरकार ने वर्ष 2017 में अंतरिम व्यवस्था की थी। इसे नगर नियोजन विभाग के जरिये लागू किया जा रहा था। रेरा एक्ट लागू होने के करीब तीन साल बाद स्वतंत्र तौर पर रेरा ने काम करना शुरू किया। पहली जनवरी से रेरा ने काम करना शुरू किया है।

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