हिमाचल में बिकेगा निमेटोड ग्रसित आलू बीज, केंद्र ने अन्य राज्यों में लगाई रोक

Potato seeds with nematode. केंद्र सरकार के रोक लगाने के बावजूद हिमाचल में निमेटोड युक्‍त आलू बीज बेचा जाएगा, दलील दी जा रही है कि हिमाचल में इस पर रोक नही है।

By Edited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 07:05 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 09:03 AM (IST)
हिमाचल में बिकेगा निमेटोड ग्रसित आलू बीज, केंद्र ने अन्य राज्यों में लगाई रोक
हिमाचल में बिकेगा निमेटोड ग्रसित आलू बीज, केंद्र ने अन्य राज्यों में लगाई रोक

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। निमेटोड से ग्रसित आलू बीज अब हिमाचल में बिकेगा। केंद्र सरकार ने हालांकि इसकी बिक्री पर अन्य राज्यों में रोक लगा दी है, बावजूद इसके हिमाचल सरकार इसे राज्य के लोगों को बेचेगी। इसके लिए दलील दी जा रही है कि निमेटोड से ग्रसित आलू बीज को हिमाचल में बेचने पर किसी तरह की रोक नहीं है।

ऐसे में अब कृषि विभाग ने हिमाचल में निमेटोड को फैलाने की तैयारी कर ली है और जल्द ही इस पर रोक न लगी तो किसानों की आलू की फसलें चौपट हो सकती हैं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआइ) शिमला के दो अनुसंधान केंद्रों के 10 हजार क्विंटल आलू बीज के अलावा कृषि विभाग के नौ फार्मो के करीब छह हजार क्विंटल आलू बीज में निमेटोड के कारण अन्य राज्यों में बिक्री पर रोक है। इस 16 हजार क्विंटल आलू बीज को खाने के लिए सस्ते दाम पर बेचना गवारा नहीं है।

निमेटोड से ग्रसित आलू को खाने से स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं होता है। निमेटोड यानी सूत्रकृमि को नंगी आंख से नहीं देखा जा सकता है। इसे केवल माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जाता है। यह आलू की जड़ों को  प्रभावित करता है और उसे फैलने नहीं देता, जिससे उत्पादन बहुत कम हो जाता है। एक मादा सूत्रकृमि 350 तक अंडे देती हैं। ऐसे में इनकी संख्या बहुत जल्दी करोड़ों में हो जाती है। इसका उपचार यही है कि आलू बीज को पूरी तरह से धो लें ताकि इसके साथ मिट्टी बिल्कुल भी न रहे।

निमेटोड का उपचार

जिस खेत में पहले आलू लगे हैं उसमें कम से कम दो से तीन वर्ष तक आलू न लगाएं।

-फसल चक्र यानी बदल-बदल कर फसलें लगाएं।

-मिट्टी की जांच करवाएं और उसका उपचार करें।

-आलू बीज को पूरी तरह से धो लें ताकि मिट्टी बिल्कुल भी न रहे।

-जिस खेत में लगातार तीन से चार दिन तक पानी भरा रहे वहां निमेटोड खत्म हो जाता है।

निमेटोड पाए गए आलू बीज की बिक्री पर दूसरे राज्यों में रोक लगी है। हिमाचल के लिए ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे में अब इसे प्रदेश में ही बेचने का निर्णय लिया गया है।

देसराज शर्मा, निदेशक कृषि विभाग

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