रिपन में 125 बिस्तर पर पहुंचेगी आक्सीजन

राजधानी शिमला के रिपन अस्पताल में अब 125 बिस्तर पर आक्सीजन की सुविधा मिलेगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 04:17 PM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 04:17 PM (IST)
रिपन में 125 बिस्तर पर पहुंचेगी आक्सीजन
रिपन में 125 बिस्तर पर पहुंचेगी आक्सीजन

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के रिपन अस्पताल में अब 125 बिस्तर पर आक्सीजन की सुविधा मिलेगी। इसके लिए अस्पताल प्रशासन तैयारियों में जुटा है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए प्रशासन अस्पताल में दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार कर रहा है। इसके तहत पहले जहां करीब 70 से 80 बिस्तर पर आक्सीजन की सुविधा मिल रही है, वहीं अब पूरे 125 बिस्तर पर सांस की दिक्कत वाले मरीजों को रखने का प्रविधान है।

अस्पताल में पिछले साल नए भवन में आक्सीजन पाइप बिछाने का काम पूरा किया गया था। हर वार्ड में आक्सीजन की सुविधा के लिए प्वाइंट स्थापित किए गए थे। अस्पताल में अब आक्सीजन प्लांट स्थापित होने के बाद बिस्तर पर आक्सीजन की सीधी सप्लाई दी जाएगी।

रिपन के एमएस डा. रविद्र मोक्टा का कहना है कि अस्पताल में कोरोना की संभावित तीसरी लहर की तैयारी के चलते बिस्तर की संख्या 90 से 125 की गई है। वहीं अब सभी बिस्तर पर आक्सीजन की सप्लाई मिलने से मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना होगा। इसके अलावा अस्पताल में 19 बिस्तर साइड वेंटीलेटर्स स्थापित किए जा चुके हैं और 50 नए वेंटीलेटर खरीदने के लिए सरकार से स्वीकृति मांगी गई है। वेंटीलेटर चलाने का प्रशिक्षण ले रहा स्टाफ

इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) में रिपन के स्टाफ को वेंटीलेटर चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके लिए अस्पताल से रोजाना दो-दो डाक्टर प्रशिक्षण पर जा रहे हैं। रिपन में पहली बार वेंटीलेटर की सुविधा मरीजों को मिलने वाली है। इसलिए अस्पताल प्रशासन की ओर से स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसलिए पड़ती है वेंटीलेटर की जरूरत

फेफड़े जब काम करना बंद कर दें तब शरीर को आक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे न ही शरीर के अंदर मौजूद कार्बन डाईआक्साइड बाहर निकल पाती है। साथ ही फेफड़ों में लिक्विड भर जाता है। ऐसे में कुछ ही देर में हृदय भी काम करना बंद कर देता है और मरीज की मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। वेंटीलेटर के जरिए शरीर में आक्सीजन पहुंचाई जाती है। यह आक्सीजन फेफड़ों में वहां पहुंचती है जहां बीमारी के कारण तरल भर चुका होता है। वेंटीलेटर सांस की नली और फेफड़ों की कोशिकाओं के बीच कुछ इस तरह से दबाव बनाते हैं कि शरीर में ज्यादा से ज्यादा आक्सीजन पहुंच सके। जैसे ही सही प्रेशर बनता है शरीर से कार्बन डाईआक्साइड निकलने लगती है और इसकी मदद से इंसान सांस लेने लगता है।

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