जिले के पांच अस्पतालों में स्थापित होंगे आक्सीजन प्लांट

जिला शिमला में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसरत शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 03:52 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 03:52 PM (IST)
जिले के पांच अस्पतालों में स्थापित होंगे आक्सीजन प्लांट
जिले के पांच अस्पतालों में स्थापित होंगे आक्सीजन प्लांट

जागरण संवाददाता, शिमला : जिला शिमला में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी जुटे हुए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए कई अहम फैसले लिए जा रहे हैं। जिले में कोरोना की संभावित तीसरी लहर में आक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए जिले के पांच अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं।

शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित करने की तैयारी चल रही है। इसमें रोहड़ू, रामपुर, चौपाल, ठियोग और रिपन अस्पताल शामिल हैं। रिपन में पहले से एक आक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है लेकिन क्षेत्रीय अस्पताल होने के कारण यहां दूसरा प्लांट स्थापित होगा। वहीं अपर शिमला के मरीजों के लिए उनके नजदीकी अस्पतालों में आक्सीजन की उपलब्धता रहेगी। यह फैसला राज्य सरकार की बैठक में पिछले हफ्ते लिया गया है। इस बैठक में स्वास्थ्य सचिव के साथ कोरोना की तैयारियों को चर्चा की गई। जिले में तीसरी लहर की आशंका के चलते कोरोना से निपटने को लेकर प्रबंध किए जा रहे हैं। कोरोना महामारी का अधिक असर फेफड़ों में देखने को मिलता है। फेफड़ों में जाकर यह वायरस कई गुणा बढ़कर सांस की दिक्कत पैदा करता है। ऐसे में नजदीकी अस्पताल में आक्सीजन की सुविधा मिलने से मरीज की जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है। अब आक्सीजन के लिए आइजीएमसी या रिपन पर भी रहेगी निर्भरता

पिछले साल जिले भर के दूरदराज के अस्पतालों में आक्सीजन की उप्लब्धता न होने के कारण मरीजों को रिपन और आइजीएमसी रेफर किया जाता था, इस स्थिति में दोनों अस्पतालों में बेड की कमी खलती थी और मरीजों को खासा परेशान होना पड़ता था। लेकिन प्रशासन की ओर से पांच अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगने से इस समस्या से मरीजों को राहत मिलेगी। इन सभी प्लांट्स की क्षमता 1000 लीटर प्रति तीन घंटे रहेगी। कब पड़ती है आक्सीजन की जरूरत

डाक्टरों की मानें तो जब आक्सीजन का लेवल 90 फीसद से भी कम हो जाए तो मेडिकल आक्सीजन देने की आवश्यकता होती है। आक्सीजन लेवल चेक करने के लिए वे छह मिनट चलने की भी सलाह देते हैं। कोरोना मरीज को छह मिनट सैर करके आक्सीजन लेवल जांचना चाहिए। पहले सैर शुरू करने से पहले जांचे और फिर छह मिनट चलने के बाद आक्सीमीटर से दोबारा जांच करें। इसके बावजूद अगर आक्सीजन का लेवल गिर रहा हो तो डाक्टर की देखरेख में मेडिकल आक्सीजन सपोर्ट देने की जरूरत होती है।

chat bot
आपका साथी