राज्य पुस्तकालय को बुक कैफे बनाने का विरोध, बुलानी पड़ी पुलिस

शहर के रिज मैदान पर स्थित राज्य पुस्तकालय की मरम्मत करवा कर बुक कैफे बनाने का विरोध शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 05:08 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 05:08 PM (IST)
राज्य पुस्तकालय को बुक कैफे बनाने का विरोध, बुलानी पड़ी पुलिस
राज्य पुस्तकालय को बुक कैफे बनाने का विरोध, बुलानी पड़ी पुलिस

जागरण संवाददाता, शिमला : शहर के रिज मैदान पर स्थित राज्य पुस्तकालय की मरम्मत करवा कर बुक कैफे बनाने का विरोध शुरू हो गया है। लाइब्रेरी में सुबह लोग पढ़ने के लिए पहुंचे तो उन्हें सूचना मिली कि इसे बुक कैफे बनाया जा रहा है। छात्र और वरिष्ठ नागरिक इसको लेकर भड़क गए और वे विरोधस्वरूप बाहर आ गए। छात्रों की भीड़ को देखते हुए पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस ने कोरोना व रिज पर धारा-144 लागू होने का हवाला देते हुए छात्रों को हटने को कहा।

छात्रों सहित वरिष्ठ नागरिक जो लाइब्रेरी में रोजाना अखबार पढ़ने आते हैं वे भी बच्चों के समर्थन में उतर आए। उन्होंने कहा कि शिमला शहर में कई सरकारी भवन खाली पड़े हुए हैं। कई खाली स्थान हैं, निगम वहां पर बुक कैफे खोलकर कमाई करे। जो स्थान पहले से पढ़ने के लिए चिह्नित है उसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। छात्रों ने कहा कि यदि नगर निगम प्रशासन उनकी बात को नहीं सुनता है तो वे प्रदेश भर के छात्रों को एक मंच पर एकत्र कर आंदोलन करेंगे। पहले भी हुआ था विरोध

सरकार ने राज्य पुस्तकालय को कनेडी चौक शिफ्ट कर दिया है। इस पुस्तकालय को अब केवल रीडिग रूम बनाया गया है। छात्र पहले भी इसका विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि यह शहर से दूर है। रिज मैदान पर वे आसानी से पहुंच सकते हैं, लेकिन कनैडी चौक पर पहुंचने के लिए अधिक समय लगता है। सरकार ने अतिरिक्त स्थान और बैठने की उचित व्यवस्था का हवाला देते हुए पुस्तकालय को बदल दिया है। रिज पर लोगों की चहलपहल ज्यादा होने से सदस्यों को दिक्कत पेश आती है। रिज पर कार्यक्रम चलते रहते हैं, इसके कारण शोर-शराबा रहता है, जिससे पढ़ने वाले परेशान होते हैं। 18 हजार से ज्यादा सदस्य

राज्य पुस्तकालय के 18 हजार 755 सदस्य पंजीकृत हैं। इनमें 14953 व्यस्क हैं, जबकि 3802 चिल्ड्रन सेक्शन के हैं। ये सदस्य शिमला के अलावा चंबा, सिरमौर, मंडी, बिलासपुर समेत अन्य जिलों के हैं। यह लाइब्रेरी पहले नगर निगम के पास भी थी। वर्ष 1987 से लाइब्रेरी शिक्षा विभाग के अधीन है। स्टेट लाइब्रेरी में सिर्फ सदस्यों के ही प्रवेश की अनुमति है। वे लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ सकते हैं और किताबें पढ़ने के लिए घर भी ले जा सकते हैं। शहर के लोग अकसर पढ़ने लाइब्रेरी ही आते हैं। यहां दिन में 70 से 80 सदस्य पढ़ाई करते हैं, जबकि दूर के सदस्य किताबें घर ले जाते हैं। राज्य पुस्तकालय की हालत खराब हो चुकी है। दोमंजिला इस भवन की दीवारों व छत की लकड़ी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। अंदर से शीघ्र मरम्मत करवाना आवश्यक है। इस पर 2.25 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। नगर निगम की इसके प्रारूप को बदलने की कोई योजना नहीं है।

सत्या कौंडल, महापौर नगर निगम शिमला।

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