अब विकासनगर और पंथाघाटी में तेंदुए की दहशत
शहर में तेंदुए का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कनलोग डाउनडेल के बाद अब विकासनगर व पंथाघाटी में तेंदुआ दिखने लगा है।
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में तेंदुए का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कनलोग, डाउनडेल के बाद विकासनगर और पंथाघाटी में तेंदुए का आतंक बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तेंदुआ अब दिन में ही दिखने लगा है। क्षेत्र में न तो स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था है और न ही विभाग और नगर निगम ने रास्तों के किनारे से बरसात के बाद झाड़ियों को काटा नहीं है। इस कारण लोगों को सबसे ज्यादा खतरा दिख रहा है। झाड़ियां बढ़ने के कारण रास्तों के किनारे तेंदुए को छिपने के लिए एक जगह मिल रही है। इससे वह स्थानीय लोगों या कुत्तों पर हमला करने के लिए जगह बना रहा है।
पूर्व उपमहापौर व पार्षद राकेश शर्मा ने बताया कि दो दिन पहले भी पंथाघाटी के पट्टी गांव के पास सुबह साढ़े नौ बजे तेंदुआ कुत्ते को उठा ले गया। इसके बाद फिर से अब तेंदुए को यहीं आसपास दोपहर के समय लोगों ने देखा है। क्षेत्र में रास्तों के किनारे झाड़ियां बढ़ गई हैं। इसमें लोगों को जरा भी हलचल होने पर तेंदुए का डर सताता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि तेंदुए को पकड़ने के लिए पिजरा लगाया जाए और झाड़ियों को काटने का काम शुरू किया जाए।
विकासनगर के स्थानीय निवासी पूर्ण चंद का कहना है कि तेंदुए के डर के चलते लोग घर से निकलने में भी घबराने लगे हैं। निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग रात को सात या आठ बजे के बाद ही घर पहुंचते हैं। स्ट्रीट लाइट न होने के कारण लोगों को तेंदुए के हमले का डर सताता रहता है। नगर निगम ने यहां पर अभी तक झाड़ियों को नहीं काटा है। इससे लोगों को झाड़ियों में तेंदुए के होने का डर सताता रहता है। स्थानीय निवासी हरिदास का भी कहना है कि शहर में तेंदुए के आतंक से अब लोग डरने लगे हैं। वन विभाग को सर्दियों में हर क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट और तेंदुए को पकड़ने के लिए पिजरे लगाने चाहिए।