निकाय के बाद अब जिला परिषद के लिए जंग

शहरों में निकाय चुनाव का चुनावी शोर थम गया है। इसके बाद अब राज

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 07:23 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 07:23 PM (IST)
निकाय के बाद अब जिला परिषद के लिए जंग
निकाय के बाद अब जिला परिषद के लिए जंग

जागरण संवाददाता, शिमला : शहरों में निकाय चुनाव का चुनावी शोर थम गया है। इसके बाद अब राजनीतिक दलों के नेताओं ने पूरी ताकत जिला परिषद के चुनावों में लगाने की तैयारी कर दी है। स्थानीय कांग्रेस व भाजपा के नेताओं को जिला परिषद के चुनावों में पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों को जीतने के लिए काम करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि प्रत्यक्ष रूप से तो स्थानीय नेता नहीं आ रहे हैं, लेकिन परोक्ष रूप से कहां प्रत्याशी की बैठक करवानी है, कहां प्रचार के लिए कौन सी टीमें जाएगी। इसका पूरा कार्यक्रम तैयार कर दिया है।

पार्टी समर्थित प्रत्याशियों के लिए स्थानीय कार्यालय से रोजाना के प्रचार का सप्ताह भर का शेड्यूल जारी किया जा रहा है। इसी तरह से इनके समर्थन में संगठन के पदाधिकारी कहां प्रचार करेंगे, इनके लिए भी अलग से शेड्यूल जारी किया जाएगा। इसके तहत ही सभी का प्रचार किया जाना प्रस्तावित है। भाजपा के साथ कांग्रेस में भी इस तरह से चुनावी प्रचार का पूरा खाका तैयार किया जा रहा है।

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समर्थित प्रत्याशी उतारने के बाद बना प्रतिष्ठा का सवाल

जिला परिषद में पहली बार भाजपा ने समर्थित प्रत्याशियों की घोषणा की है। जिला भर की 24 सीटों के लिए प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। वहीं कांग्रेस के विधायकों ने अपने समर्थित प्रत्याशी उतारे हैं। जिला परिषद के चुनावों में संख्या बल हासिल कर अध्यक्ष की कुर्सी झटकने के लिए दोनों ही राजनीतिक दल पूरा प्रयास कर रहे हैं।

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आजाद प्रत्याशी कई स्थानों पर बने हैं चुनौती

जिले में पार्टी के समर्थित प्रत्याशी न बन पाने के कारण कई प्रत्याशी चुनावी समर में आजाद उतरे हैं। ये प्रत्याशी एक नहीं बल्कि दोनों ही राजनीतिक दलों में हैं। नामांकन वापस लेने तक इन्हें बिठाने के लिए काफी प्रयास किया गया। इसमें जहां सफलता मिली, वहां पर तो पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में बिठा दिया गया। वहीं जहां सफलता नहीं मिल पाई है, वहां पर राजनीतिक दलों के लिए आजाद तौर पर उतरे प्रत्याशी परेशानी का सबब बने हैं।

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