शिमला शहर के जिम संचालकों पर बरस रही नगर निगम की दरियादिली, सभी से नहीं वसूला जा रहा शुल्क
Shimla News विकास कार्यों के लिए बजट का रोना रोने वाला नगर निगम शहर के जिम संचालकों पर बड़ी मेहरबानी दिखा रहा है। राजधानी शिमला में 42 जिम पंजीकृत हैं। इनमें से 12 ही जिम संचालक नियमित रूप से कूड़े का बिल दे रहे हैं।
शिमला, जागरण संवाददाता। विकास कार्यों के लिए बजट का रोना रोने वाला नगर निगम शहर के जिम संचालकों पर बड़ी मेहरबानी दिखा रहा है। राजधानी शिमला में 42 जिम पंजीकृत हैं। इनमें से 12 ही जिम संचालक नियमित रूप से कूड़े का बिल दे रहे हैं। बाकी कोई भी कूड़े का बिल नियमित रूप से नहीं दे रहे हैं। कई जिम संचालकों ने तो 6-6 महीनों से ही बिल का भुगतान नहीं किया है। हैरानी की बात यह है कि निगम इनसे बिल वसूलने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। इससे निगम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने शुरू हो गए हैं।
नगर निगम ने इससे पहले भी जिम संचालकों पर मेहरबानी दिखाई थी। कोरोना काल में जिम संचालकों का डोर टू डोर गारबेज का शुल्क दो महीने का माफ किया था। इसको लेकर भी काफी ज्यादा विरोध हुआ था, शहर के व्यापारियों ने कहा था कि उनका शुल्क भी माफ किया जाए। नगर निगम की बैठक में भी कई बार यह मसला उठ चुका है। बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
निगम की बैठक में उठा था मामला
27 नवंबर को नगर निगम की मासिक बैठक में भी यह मामला उठा था। निगम के उप महापौर ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि यह निगम की ही नाकामी है जो डोर टू डोर गारबेज शुल्क नहीं वसूला जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को कहा था कि इस पर सख्त कार्रवाई करें।
अधिकारियों को दिए निर्देश: आयुक्त
नगर निगम आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि डोर टू डोर गारबेज का शुल्क नियमित रूप से वसूलने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी छूट नहीं दी गई है। जो इसमें अनियमित्ता बरतता है उसके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई होगी। सुपरवाइजरों को कहा गया है कि सभी से समय पर इस शुल्क को वसूलें।