इंजीनियर नहीं, साफ्टवेयर जांचेगा भवनों के नक्शे
हिमाचल प्रदेश में अब भवनों के नक्शे जांचने का काम इंजीनियर नहीं बल्कि साफट्टवेयर करेगा।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
हिमाचल प्रदेश में अब भवनों के नक्शे जांचने का काम इंजीनियर नहीं बल्कि साफ्टवेयर करेगा। साफ्टेवयर के माध्यम से भवनों के नक्शों में किसी भी तरह की खामी होने पर साफ्टवेयर इसकी सूचना तत्काल आर्किटेक्ट व आवेदक को दे देगा। लोगों को भवनों के नक्शे पास करवाने के लिए कई-कई महीने तक नगर निकाय और नगर एवं ग्राम नियोजन कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
शहरी विकास विभाग ने हिमाचल में नक्शे जांचने की नई व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके तहत आटो-डीसीआर साफ्टवेयर खरीदा जाएगा जिसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साफ्टवेयर के लिए लाखों रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसके लिए बजट का प्रावधान करवाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
प्रदेश में अभी तक आनलाइन आवेदन करने पर भी कई-कई महीने तक नक्शे पास नहीं होते हैं। इस कारण लोगों को कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। साफ्टवेयर आने के बाद नक्शों में जबरदस्ती की खामियां भी नहीं निकाली जा सकेंगी। साफ्टवेयर निर्धारित नियमों के आधार पर नक्शा जांचेगा और उसमें जो भी खामी होगी, उसे बता देगा। सब कुछ नियमों के अनुसार पाए जाने पर ही नक्शे पास होंगे। इससे भवनों के लिए बनने वाले नक्शों पर निगरानी करना आसान होगा। मात्र सात से 10 दिनों में निर्धारित नियमों के अनुसार नक्शा पास होगा।
ऐसे काम करेगा साफ्टेवयर
साफ्टवेयर में भवन बनाने के लिए निर्धारित नियम व प्रावधान फीड होते हैं। भूमि मालिक जो भवन बनाना चाहता है, आर्किटेक्ट के माध्यम से उसका नक्शा व दस्तावेज साफ्टवेयर में अपलोड किए जाएंगे। साफ्टवेयर नक्शे और भूमि के पर्चे, जमाबंदी, ततीमा में उपलब्ध जमीन, नक्शे में छोड़े गए सेटबैक व अन्य प्रावधान को जांचेगा। फ्लोर एरिया रेशो (एफआरए) आदि की भी जांच होगी। जो भी कमी होगी, उसके आधार पर नक्शे को पास करने से रोककर भवन मालिक और आर्किटेक्ट को एसएमएस व ई-मेल से जानकारी दी जाएगी। सब कुछ सही पाए जाने पर नक्शे सही दर्शाकर पास हो जाएगा।
--------------- भवनों के नक्शों को जांचने के लिए साफ्टेवयर की प्रक्रिया अपनाने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है। सरकार से जैसे निर्देश आएंगे, उस आधार पर प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
-मनमोहन शर्मा, निदेशक, शहरी विकास विभाग