वंशवाद के नाम पर राहुल सहित बड़ी हस्तियों को घेरा

बात चाहे राजनीति फिल्म जगत की हो या फिर किसी क्षेत्र में वंशवाद की परंपरा चंहु ओर देखने में आती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Jun 2019 09:12 PM (IST) Updated:Mon, 24 Jun 2019 09:12 PM (IST)
वंशवाद के नाम पर राहुल सहित बड़ी हस्तियों को घेरा
वंशवाद के नाम पर राहुल सहित बड़ी हस्तियों को घेरा

सुमन भट्टाचार्य, शिमला

बात चाहे राजनीति, फिल्मी जगत की हो या फिर किसी अन्य क्षेत्र की, वंशवाद की परंपरा चारों ओर देखने को मिलती है। सदियों से वंशवाद की परंपराओं में भारतीय समाज जकड़ा हुआ है। इसी मुद्दे पर सोमवार को शिमला में 'सोसाइटी ऑफ डायनास्टस' विषय पर राहुल महाजन की संचालित चर्चा में नेहा जोशी , तहसीन पूनावाला, तजिदर पाल सिंह बग्गा और फिल्म निर्देशक रवि राय ने विचार रखे।

इन वक्ताओं ने कहा कि भारत में वंशवाद की परंपरा का इतिहास पुराना रहा है। अयोग्य पीढ़ी होने के बावजूद भी उसे ढोना मजबूरी बन जाती है। दूसरी ओर उन्हें भी ख्याति प्राप्त अपनों की बराबरी करना कठिन चुनौती बन जाता है। वंशवाद से अधिकतर काबिल लोग समाज में आगे नहीं आ पाते और धूमिल हो जाते हैं। इसका खामियाजा समाज को उठाना पड़ता है। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर के बेटे को भारतीय टीम में लाने के लिए हुए प्रयासों तक का हवाला दिया। वहीं आरएसएस में महिलाओं को स्थान न देने का मसला भी उठाया। प्रख्यात राम नाथ गोयंका पुरुस्कार विजेता गीताश्री ने उत्पीड़न को सह वर्चस्व की ओर बढ़ती महिलाओं की भूमिका और पितृसत्ता पर तीखे कटाक्ष किए। साथ ही भूतप्रेत की असाधारण घटनाओं पर संग्रहित अपनी किताब के अंश पढ़े। बेटियों की व्यथा सुनाते भावुक हुए कपिल राज

लेखक कपिल राज जब किताब के बारे में बता रहे थे तो एक समय उनकी आंखें भर आई। वे समाज में छोटी बेटियों व महिलाओं पर बढ़ते दुराचार के विकृत चेहरे को मार्मिकता से व्यक्त कर रहे थे। अपनी किताब के माध्यम से राज ने बताया कि दुराचार से पीड़ित नारी को भी समाज में सम्मान से जीने का पूरा हक है। वह दोषी नहीं अपितु भुक्तभोगी है। बिहार के संजय कुमार ने किताब 'कठियार टू केनडी' के जरिए बिहार के कठियार जिले में शिक्षा के लिए किए अपने संघर्ष को शब्दों में बयां किया है। वह देश के मध्यम वर्ग को शिक्षा से जोड़ पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करने जा रहे हैं। इस दौरान अन्य बुद्धिजीवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इसके अलावा उत्सव में किताबों, बुक मार्क व अन्य वस्तुओं के स्टाल लगाए गए हैं। पूनावाला ने सांचा विद्या से जाना भविष्य

तहसीन पूनावाला ने सांचा वाचकों से अपना भविष्य जाना। उनके राजनीतिक संबंधित प्रश्नों के उत्तर में चौपाल के पंडित देवी राम शर्मा ने पाशे पढ़कर दिए। भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से लोगों की मांग पर सांचा विद्या के जानकारों को दोबारा से बिठाया है। हालांकि पहले उन्हें पुस्तक मेले में लाया गया था।

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