राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी कुल्लू दशहरा उत्सव की शोभायात्रा, देवताओं की झलक भी दिखेगी

गणतंत्र दिवस पर इस बार दिल्ली के राजपथ पर अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की जात्र (शोभायात्रा) पर आधारित झांकी हिमाचली संस्कृति की झलक पेश करेगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 12:21 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 12:21 PM (IST)
राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी कुल्लू दशहरा उत्सव की शोभायात्रा, देवताओं की झलक भी दिखेगी
राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी कुल्लू दशहरा उत्सव की शोभायात्रा, देवताओं की झलक भी दिखेगी

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। गणतंत्र दिवस पर इस बार दिल्ली के राजपथ पर अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की जात्र (शोभायात्रा) पर आधारित झांकी हिमाचली संस्कृति की झलक पेश करेगी। रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल की झांकी को मंजूरी दे दी है। इसमें रघुनाथ जी के रथ के साथ दशहरा उत्सव में शिरकत करने वाले देवताओं और परंपरागत वाद्ययंत्रों को प्रस्तुत किया जाएगा।

हिमाचल भाषा कला एवं संस्कृति विभाग अब अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव पर प्रस्तुत डिजाइन के आधार पर मॉडल तैयार कर 12 दिसंबर को रक्षा मंत्रालय के समक्ष पेश करेगा। 32 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने झांकी का डिजाइन दिया था। इनमें से सात की झांकी को अस्वीकार कर दिया है। 20 केंद्रीय मंत्रालयों में से सात के डिजाइन को ही मंजूरी मिली। हिमाचल भाषा कला एवं संस्कृति विभाग ने गणतंत्र दिवस के लिए तीन झांकियों कुल्लू दशहरा उत्सव, मंडी शिवरात्रि और पहाड़ी चित्रकला के डिजाइन रक्षा मंत्रालय के समक्ष रखे थे।

2007 से अब तक चार बार दिखी है हिमाचली झांकी

राजपथ पर गणतंत्र दिवस पर 2007 से लेकर अब तक चार बार ही हिमाचल की झांकी शामिल हो सकी है। 2019 में हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग ने महात्मा गांधी की हिमाचल यात्राओं पर आधारित झांकी का मॉडल प्रस्तुत किया, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया था। 2018 में लाहुल-स्पीति के की गोंपा ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया था जबकि 2017 में चंबा रूमाल की झांकी राजपथ पर प्रदर्शित हुई थी। इससे पहले 2012 में किन्नौरी संस्कृति व 2007 में लाहुल-स्पीति के ढंकर गोंपा की झांकी को मौका मिला था।

30 लोग हो सकते हैैं शामिल

झांकी में तीस लोगों के शामिल होने की अनुमति होगी। इसमें ट्रैक्टर व ट्रॉली पर दस लोग जबकि बीस लोग पैदल हो सकेंगे। रघुनाथ जी के रथ को खींचने के अलावा तीन देवता के रथ भी शामिल होंगे। जो मॉडल पेश किया जाएगा, उसमें करनाल, रणङ्क्षसघे, ढोल और नगाड़े पेश किए जाएंगे। देव संस्कृति के महासंगम कुल्लू दशहरा का आयोजन दशहरा के बाद होता है। अंतरराष्ट्रीय महोत्सव सात दिन तक चलता है। इसमें हिमाचली लोकसंस्कृति व पंरपरा देखने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैैं।

रक्षा मंत्रालय ने दो चरणों की प्रक्रिया में हिमाचल भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रदर्शित कुल्लू दशहरा उत्सव की जात्र (शोभायात्रा) की झांकी को मंजूरी दी है। अब इसका मॉडल प्रस्तुत किया जाएगा। -राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग।

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