पिछली जिंदगी भूल जोश से आगे बढ़ रहा आइआइटी पास कैदी, बोला- बड़ा काम कर बड़ा आदमी बनने की चाहत
IIT Pass Prisoner मैं सब कुछ भूल जाना चाहता हूं। गलती किसी भी इंसान से हो सकती है। नियति ने मुझे अपनी गलती सुधारने का मौका दिया है। मैं जीना चाहता हूं। जीवन अब सही राह पर है। इसी राह पर चलने की इच्छा है ।
शिमला, रमेश सिंगटा। 'साहब... मैं सब कुछ भूल जाना चाहता हूं। गलती किसी भी इंसान से हो सकती है। नियति ने मुझे अपनी गलती सुधारने का मौका दिया है। मैं जीना चाहता हूं... बड़ा काम कर बड़ा आदमी बनने की चाहत है। जीवन अब सही राह पर है। इसी राह पर चलने की इच्छा है '। यह कहना है शिमला में स्थित सब जेल कैथू में उम्रकैद की सजा काट रहे युवक का। यह युवा जेल में होने पर भी ज्ञान की रोशनी दूसरों को बांट रहा है। युवक पर वर्ष 2010 में क्षणिक आवेश में आकर हत्या करने का आरोप लगा।
युवक भावुक होकर बोला, बहुत बुरा समय देखा... इसे झेला भी। कुछ लोग अच्छे मिले जिन्होंने जीने की प्रेरणा दी। यही कारण रहा कि कानून की बेडिय़ां भी मेरे सपने नहीं जकड़ पाईं। मैं पिछली जिंदगी भूल जाना चाहता हूं। नए सिरे से नई सोच व जोश के साथ आगे बढ़ रहा हूं। जो भी बाधाएं आएंगी, उनसे खुशी-खुशी पार पा लूंगा मगर सब लोगों से आग्रह है कि मेरा सहयोग करें। मुझे अपनी मेहनत पर भरोसा है। लगता है मेरे सपने जरूर साकार होंगे।
समाज को अभी संदेश देने की स्थिति में नहीं हूं। जब कभी बड़ा आदमी बनूंगा, जरूर सकारात्मक संदेश दूंगा। समाज में कुछ नकारात्मक शक्तियां भी हैं जिनसे डर लगता है कि कहीं वे मेरी नौकरी न छीन लें। जिस तरह का मौका जेल प्रशासन ने मुझे दिया है, मैं उसी के सहारे आगे बढ़ रहा हूं। तालाब में ठहरा हुआ पानी सड़ जाता है जो रुकना नहीं चाहिए। ठीक उसी तरह जीवन भी चलते रहना चाहिए। इसमें भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
युवाओं के लिए बना आदर्श
इस युवा की प्रतिभा की उड़ान कोई नहीं रोक पाया। इसने तकनीक के क्षेत्र में कई डिग्रियां प्राप्त की हैं। यह सजायाफ्ता कैदी समाज में युवाओं के लिए आदर्श बनकर उभरा है। दसवीं और बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को ऑनलाइन साइंस की कक्षाएं पढ़ रहा है। दैनिक जागरण के साथ इसने खास बातचीत की।
काम आई प्रशासन की पहल
जेल प्रशासन ने कैदियों को रोजगार से जोडऩे की पहल की है। इसी का इस युवक ने लाभ उठाया। कैदी कई तरह का हुनर सीख रहे हैं। कोई बेकरी उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण ले रहा है तो कोई दर्जी का काम, सदरी बनाने का काम तो कोई अन्य तकनीकी कार्य सीख रहा है। अब ये लोग रोजगार के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं बल्कि अपने परिवार की रोजी-रोटी भी चला रहे हैं। जेल प्रशासन की पहल इनके काम आई है।
बिहार के डीजी जेल ने की सराहना
दैनिक जागरण में 'जेल की इंजीनियरिंग बदल रहा आइआइटी का स्कॉलर कैदी' शीर्षक से प्रकाशित समाचार पढऩे के बाद बिहार के डीजी (जेल) ने हिमाचल प्रदेश के डीजी (जेल) सोमेश गोयल को फोन किया। उन्होंने सोमेश गोयल की ओर से जेल सुधारों की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस युवा को मिला सालाना लाखों रुपये का पैकेज जेल प्रशासन के सकारात्मक सहयोग से ही संभव हो पाया है। उन्होंने इसके लिए गोयल को बधाई दी। वहीं, सोमेश गोयल ने इस समाचार के लिए दैनिक जागरण का आभार व्यक्त किया।
दामन भले ही दागदार पर गलती सुधारने का मौका जरूरी
डीजी (जेल) हिमाचल प्रदेश सोमेश गोयल का कहना है नामी संस्थान से पढ़ा रहा युवक समाज के लिए आदर्श साबित हो रहा है। हमें ऐसे कैदी पर फख्र है। लाखों रुपये का पैकेज पाना जेल प्रशासन के लिए भी गौरव की बात है। इस युवा का दामन भले ही दागदार रहा है लेकिन अपनी गलतियों को सुधारने का उसे पूरा मौका मिला। वह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। समाज को ऐसे कैदी के संबंध में सकारात्मक सोच अपनानी चाहिए।