आइआइटी मंडी और एनआइटी के विशेषज्ञों ने किया कच्चीघाटी का दौरा

शिमला जिले की कच्चीघाटी में असुरक्षित भवनों को गिराने से पहले इन्ह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:06 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:06 PM (IST)
आइआइटी मंडी और एनआइटी के 
विशेषज्ञों ने किया कच्चीघाटी का दौरा
आइआइटी मंडी और एनआइटी के विशेषज्ञों ने किया कच्चीघाटी का दौरा

जागरण संवाददाता शिमला : शिमला जिले की कच्चीघाटी में असुरक्षित भवनों को गिराने से पहले इन्हें बचाने की संभावना तलाशने के लिए आइआइटी मंडी, एनआइटी हमीरपुर, लोक निमार्ण विभाग के विशेषज्ञ सहित कमेटी ने मंगलवार को मौके का दौरा किया। इस दौरान निगम के आयुक्त से लेकर अधिकारी भी मौजूद रहे। फैसला लिया गया है कि कच्चीघाटी में मिट्टी के सैंपल लेकर मजबूती को जांचा जाएगा। आठ से दस दिन के बीच इसकी रिपोर्ट आ सकती है। इसके बाद ही इन भवनों के भविष्य पर फैसला लिया जाना प्रस्तावित है। मौके का निरीक्षण करने के बाद विशेषज्ञों की टीम ने उपायुक्त आदित्य नेगी के साथ बैठक की। इस दौरान भवनों को बचाने के मसले पर चर्चा कर आगामी रणनीति तैयार की है। टीम की रिपोर्ट के बाद ही इन भवनों पर कोई फैसला लिया जाएगा।

कच्ची घाटी में पिछले सप्ताह आठ मंजिला इमारत के अचानक गिरने के कारण साथ लगती इमारतों के ढहाने का खतरा बन गया। इस कारण जान माल के नुकसान की आशंका बनी हुई है। आठ मंजिला इमारत दर्शन काटेज में शिमला के बड़े कारोबारी गुरबचन सिंह और गुरमीत सिंह के परिवार रहते थे। इसके अलावा केआर शर्मा, राजीव सूद, नारायण सिंह और विक्की सूद के परिवार भी रहते थे। सभी परिवारों को सुरक्षित दूसरी जगह पर ठहराया गया है। इसके ढहने से दो मंजिला इमारत भी इसकी चपेट में आने से तबाह हो गई। यह मकान निर्मला भवन था। इसके अलावा इमारत के ढहने से दो बहुमंजिला इमारतें भी खतरे की जद में हैं। उनमें से एक हरी पैलेस नामक होटल है। इसके साथ बनी एक अन्य इमारत है। दोनों इमारतों को खाली करवा दिया गया।

नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि भवनों की सुरक्षा की मजबूती को जांचने के लिए आइआइटी मंडी और एनआइटी हमीरपुर के विशेषज्ञों की मदद ली है। टीम ने मौके का जायजा लिया है। इन भवनों को कैसे बचाया जा सकता है या मजबूती कैसे प्रदान की जा सकती है, इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट अगले आठ से दस दिन के बाद ही तैयार होगी। उसमें तय होगा कि आगे क्या किया जाना है। इसके बाद ही सरकार को पूरी रिपोर्ट तैयार कर सौंपी जानी है।

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