समय रहते पहचान हो तो ब्लैक फंगस से हो सकता है बचाव
ब्लैक फंगस के लक्षणों की समय रहते पहचान हो जाए तो इसका उपचार स
जागरण संवाददाता, शिमला : ब्लैक फंगस के लक्षणों की समय रहते पहचान हो जाए तो इसका उपचार संभव है। यह कहना है आइजीएमसी शिमला के एमएस डा. जनकराज का। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस यानी मयूकोर माइकोसिस हवा में विद्यमान बैक्टीरिया के कारण संक्रमण फैलाने से होता है। यह बैक्टीरिया सामान्य तौर पर हमारे आसपास मौजूद रहते हैं, लेकिन स्वस्थ व्यक्ति को इससे डरने की जरूरत नहीं है। गंभीर बीमारियों के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाए तो इस संक्रमण के होने की संभावना बढ़ जाती है। कोरोना संक्रमण के कारण मरीज अस्पतालों में दाखिल हो रहे हैं। डायबिटीज, किडनी रोग सहित अन्य गंभीर बीमारियां हो तो ऐसी स्थिति में हाई डोज स्टेरायड दिया जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही जो लोग लंबे समय से अनीमिया के चलते आयरन ट्रीटमेंट ले रहे हैं, उन्हें भी संक्रमण होने का खतरा है।
डा. जनकराज का कहना है कि इसकी समय पर जांच होने से बचाव किया जा सकता है। ब्लैक फंगस के शुरुआती चरण में एंटीफंगल दवा, इंजेक्शन के माध्यम से इलाज संभव है और त्वचा में फंगस के लक्षण नजर आने पर भी सर्जरी के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन नाक और आंख के बाद अगर यह संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है तो इससे मरीज की जान बचना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि डरने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। अगर ब्लैक फंगस का कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुंरत अस्पताल जाकर ईएनटी के डाक्टर से संपर्क करें। ब्लड शुगर की समस्या है तो रोजाना उसे चेक करें। इसके साथ ही बिना डाक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें।