होटल ऑक्यूपेंसी में 80 फीसद तक गिरावट

कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए की गई सख्ती का असर पर्यटन

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 05:01 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 05:01 PM (IST)
होटल ऑक्यूपेंसी में 80 फीसद तक गिरावट
होटल ऑक्यूपेंसी में 80 फीसद तक गिरावट

जागरण संवाददाता, शिमला : कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए की गई सख्ती का असर पर्यटन सीजन पर पड़ना शुरू हो गया है। शिमला में पर्यटकों की ऑक्यूपेंसी में 80 फीसद तक की गिरावट आई है। वीकेंड (सप्ताहांत) पर भी पर्यटक शिमला घूमने नहीं आ रहे हैं। राज्य सरकार ने देश के सात राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर हिमाचल में प्रवेश से 72 घंटे की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाने को कहा गया है। इसके चलते पर्यटकों की आमद कम हुई है। वहीं हिमाचल के साथ लगते राज्यों में भी कई तरह की सख्ती की गई है।

हिमाचल प्रदेश होटलियर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से पर्यटन उद्योग को दोबारा पटरी पर लाने के लिए विशेष पैकेज देने की मांग उठाई है। होटलियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने कहा कि सबसे ज्यादा पर्यटक 15 मार्च से मई महीने तक शिमला में आते हैं। पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले सभी होटलों और अन्य पर्यटन इकाइयों ने पर्यटकों के स्वागत की सारी तैयारियां कर दी थी। वर्ष के शुरुआती महीने में बुकिग भी अच्छी आना शुरू हो गई थी। इसे देखते हुए होटलों की मेंटेनेंस का कार्य भी करवाया। कोरोना के लिए सरकार ने जो बंदिशें लगाई हैं उससे होटलों में ऑक्यूपेंसी न के बराबर चली हुई है। एडवांस बुकिग रद हो रही है। होटल, रेस्तरां और अन्य पर्यटन इकाइयों के तय खर्चों को वहन कर पाना मुश्किल है। सरकार की तरफ से जो ऋण के रूप में पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को आर्थिक मदद करने की अधिसूचना जारी की थी उस स्कीम के तहत किसी भी पर्यटन कारोबारी को वर्किंग कैपिटल ऋण बैंकों द्वारा नहीं दिए गए है।

पर्यटन कारोबारियों में इस बात का रोष है कि आर्थिक मदद तो दूर लॉकडाउन अवधि में पानी, गारबेज शुल्क, प्रॉपर्टी टैक्स के बिल होटलों को भेजे जा रहे हैं, जबकि सरकार ने महामारी के मद्देनजर स्वयं लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि पर्यटन से जुड़ी इकाइयों की तुरंत हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से बिना कॉलेट्रॉल के वर्किंग कैपिटल लिमिट्स दिलवाई जाएं ताकि पर्यटन उद्योग को बचाया जा सके। दो साल से लगातार पर्यटन उद्योग के नुकसान की भरपाई और पर्यटन दोबारा से पटरी पर वापस आने में कम से कम दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है।

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