औषधीय खेती से बदलेगी हिमाचल के किसानों की तस्वीर, राज्य सरकार ने शुरू की अहम पहल

किन्नौर चंबा कुल्लू और लाहुल-स्पीति के जंगलों में कई जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। हर्बल मंडी शुरू होने से सिर्फ किसानों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि कई लोगों को रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

By Neel RajputEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 11:57 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 11:57 AM (IST)
औषधीय खेती से बदलेगी हिमाचल के किसानों की तस्वीर,  राज्य सरकार ने शुरू की अहम पहल
सोलन जिले के बनलगी में हर्बल मंडी की स्थापना से किसानों को उत्पाद बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा

शिमला, राज्य टीम। वैश्विक महामारी के इस दौर में लोगों का प्राकृतिक उत्पादों की ओर रुझान बढ़ा है। ये उत्पाद न केवल पौष्टिक हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हैं, लेकिन दिक्कत यह थी कि लोगों को हर्बल उत्पाद आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। उत्पादकों और किसानों की समस्या यह थी कि उन्हें बाजार नहीं मिल पा रहा था। कई किसान कम दाम पर इन उत्पादों को बेचने के लिए मजबूर थे। बेशक कई किसान हर्बल उत्पाद लेकर अन्य राज्यों में जाते थे, लेकिन उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता था। यही वजह रही है कि प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों का मोह भंग हो गया था। इससे कई औषधीय पौधे भी लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए।

अब कुछ वर्षों से प्राकृतिक और हर्बल उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। कृषि और बागवानी विभाग भी औषधीय पौधों के प्रति किसानों को प्रेरित कर रहा है। इस साल भी किसानों को कई प्रजातियों के पौधे बांटे गए हैं। अब किसानों को प्राकृतिक और हर्बल उत्पादों के बेहतर दाम मिलने लगे हैं। सरकार ने भी बेहतरीन पहल की है। सोलन के बनलगी में अगले माह से हर्बल मंडी शुरू हो जाएगी। मंडी में छह दुकानें तैयार हैं और आढ़तियों को भी लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं। यहां पर किसान जड़ी बूटियों के अलावा हरड़, बेहड़ा, आंवला, अश्वगंधा इत्यादि बेच सकेंगे। प्रदेश में कई तरह के हर्बल उत्पाद पैदा होते हैं।

किन्नौर, चंबा, कुल्लू और लाहुल-स्पीति के जंगलों में कई जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। हर्बल मंडी शुरू होने से सिर्फ किसानों को ही लाभ नहीं होगा, बल्कि कई लोगों को रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। आम लोगों को भी हर्बल मंडी खुलने से प्राकृतिक उत्पाद आसानी से मिल सकेंगे। आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों को भी आसानी से कच्चा माल उपलब्ध हो जाएगा। बेहतर दाम मिलने पर उत्पादन बढ़ाने के लिए भी किसान प्रेरित होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द मंडी शुरू होगी और किसानों की आर्थिकी में सुधार आएगा।

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