नशीला पौधा ही नहीं औषधि भी है भांग

प्रकाश भारद्वाज शिमला भांग नशीला पौधा ही नहीं औषधि भी है। कई दवाओं में इसका प्रयो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 11:00 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 11:00 PM (IST)
नशीला पौधा ही नहीं औषधि भी है भांग
नशीला पौधा ही नहीं औषधि भी है भांग

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

भांग नशीला पौधा ही नहीं औषधि भी है। कई दवाओं में इसका प्रयोग किया जाता है। आयुष निदेशालय भांग को शुद्ध करके कई दवाएं बनाता है। हिमाचल में भाग की खेती प्रतिबंधित है। हिमाचल में कड़ी निगरानी में भांग की खेती पर विचार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले दिनों अधिकारियों के साथ इस संबंध में उच्चस्तरीय बैठक की है। हिमाचल सरकार ने पड़ोसी उत्तराखंड में भांग की खेती का अध्ययन किया है। हिमाचल में भी सीमित क्षेत्र में पूरी निगरानी में भांग की खेती को शुरू किया जाए इस संबंध में सरकार सभी पहलुओं का अध्ययन कर रही है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी तौर पर करने के प्रविधान पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श कर रहे हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सीमित दायरे में भांग की खेती होती है। उनका यह भी कहना था कि एक ओर सरकार नशा निवारण कार्यक्रम चला रही है तो भांग की वैधानिक खेती करना कहां तक उचित रहेगा। सरकार सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोई सार्थक कदम उठाएगी। विश्व में भांग पर हो रहे शोध

हिमाचल में भांग की खेती पर भले ही प्रतिबंध है, लेकिन विश्व के विकसित देशों में भांग पर 36 से अधिक के शोध चल रहे हैं। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूरोपीय देशों, चीन में भांग पर शोध चल रहे हैं, ताकि इस प्राकृतिक बहुगुणीय पौधे से अपेक्षित लाभ प्राप्त किए जा सकें। आयुष निदेशालय की ओर से भांग को शुद्ध करके कई तरह की दवाएं बनाई जाती है। इनमें दर्द निवारक दवाएं भी शामिल हैं। पेट के कई तरह के विकारों को दूर करने के लिए भांग से निर्मित दवाएं इस्तेमाल होती है। इसके अतिरिक्त दिमाग को शक्तिबर्धक टानिक भी बनता है। कोलेस्ट्राल को नियंत्रित रखने के लिए भांग के तेल से दवा और टानिक बनाया जाता है।

-डा. सुंदर शर्मा, उपनिदेशक आयुष विभाग।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 20 साल से भांग की खेती को मंजूरी देने की चर्चा होती रही है। भांग एक नशीला पौधा है, यह गलत प्रचार किया गया है। भांग पूरी तरह से औषधीय पौधा है। पीढि़यों से भांग का पौधा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका का हिस्सा रहा है। आठ से 10 फीट से अधिक ऊंचाई के भांग के पौधों से रस्सियां बनाई जाती हैं। रेसों से पूलें बनाई जाती हैं। ग्रामीण रस्सियों व पूलों को बेचते भी हैं।

-कौल सिंह ठाकुर, पूर्व कैबिनेट मंत्री।

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