22 बच्चों का सहारा बनेगी सरकार
कोरोना संक्रमण प्रदेश के 22 विद्यार्थियों को जिदगी भर के लिए गहरे जख्म दे गया है। इनके सिर से मां-बाप का साया उठ गया है।
जागरण संवाददाता, शिमला : कोरोना संक्रमण प्रदेश के 22 विद्यार्थियों को जिदगी भर के लिए गहरे जख्म दे गया है। इनके सिर से मां-बाप का साया उठ गया है। 736 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने एक-एक स्वजन यानी माता या पिता में से किसी एक को खोया है। शिक्षा विभाग की ओर से जुटाई गई जानकारी में यह पता चला है। अब सरकार इन बच्चों का सहारा बनेगी। इनकी पढ़ाई से लेकर अन्य खर्च को सरकार उठाएगी।
अनाथ हुए बच्चों में से 15 सरकारी स्कूलों में तथा चार निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। तीन बच्चों ने स्कूल ही छोड़ दिया है। निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डा. अमरजीत शर्मा ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य व जिलों के उप शिक्षा निदेशकों को निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बच्चों के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाएं। जिन बच्चों ने स्कूल छोड़ा है, उनसे बात करें और पता लगाएं कि स्कूल छोड़ने की असली वजह क्या है। उनकी स्कूल में दोबारा एडमिशन करवाई जाए। इन 22 बेसहारा बच्चों में से जो बच्चा निजी स्कूल में पढ़ता होगा तो उसकी फीस भी माफ करनी होगी। महिला एवं बाल विकास विभाग भी इस पर नजर रखे हुए है। ये दिए हैं आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लालन-पालन से लेकर शिक्षा की व्यवस्था को लेकर कई आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि कोरोना के कारण जिन बच्चों ने अभिभावक को खोया है, उनके पालन-पोषण व पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकारों की है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि तमाम अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई निर्बाध गति से जारी रहे। जो बच्चा सरकारी या प्राइवेट स्कूल जहां पर भी पढ़ रहा है, उसकी पढ़ाई वहीं पर जारी रहनी चाहिए। राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र को भी ऐसे बच्चों को वित्तीय सहायता देने को कहा है। किस जिले में कितने छात्र हुए अनाथ
शिक्षा विभाग के मुताबिक कुल 22 छात्र अनाथ हुए हैं। हमीरपुर में तीन, कांगड़ा में सात, मंडी में पांच, सिरमौर व सोलन में एक-एक और ऊना में चार बच्चे अनाथ हुए हैं।