छात्रवृत्ति जारी करने के लिए सरकार ने लगाई शर्त
शिक्षा विभाग में 265 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद
जागरण संवाददाता, शिमला : शिक्षा विभाग में 265 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। निजी विश्वविद्यालय, निजी शिक्षण संस्थान की ओर से छात्रवृत्ति के लिए आने वाले आवेदनों के साथ शपथ पत्र की शर्त लगाई गई है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव, संस्थानों के प्रबंध निदेशक, प्रधानाचार्य या अन्य प्रशासनिक अधिकारी शिक्षा विभाग को शपथ पत्र देंगे। इसमें उन्हें बताना होगा कि जिस छात्र को छात्रवृत्ति दी जा रही है उसका बैंक खाता है और वह खुद इसे ऑपरेट करता है। दसवीं के बाद एससी, एसटी व ओबीसी श्रेणी के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति के नियमों में यह बदलाव किया गया है। संस्थान में दस्तावेजों की जांच के लिए बनाई गई कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि वह मूल दस्तावेजों, जाति व बीपीएल प्रमाणपत्रों की जांच करे। इसके अलावा सरकार व नियामक आयोग की ओर से अप्रूव फीस व अन्य फंडस का रिकॉर्ड जांचने के बाद ही छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करे। सरकारी संस्थानों के लिए अंडरटेकिग की शर्त लगाई गई है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने परफॉर्मा जारी किया है। शिक्षण संस्थानों को शपथ पत्र में यह भी जिक्र करना होगा कि उन्होंने छात्रवृत्ति के लिए प्रचार किया है और कोई भी पात्र छात्र छात्रवृत्ति के आवेदन से वंचित नहीं रहा है। शैक्षणिक सत्र 2019-20 से लंबित छात्रवृत्ति के आवेदनों पर भी यह नियम लागू होगा।
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निजी शिक्षण संस्थानों के लिए शपथ पत्र की शर्त लगाई है, जबकि सरकारी को अंडरटेकिग देने के लिए कहा गया है। बिना शपथ पत्र व अंडरटेकिग छात्रवृत्ति का बजट जारी नहीं होगा।
-डा. अमरजीत शर्मा, निदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग