कैडबरी कंपनी ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत नियुक्त किए थे दो सलाहकार
रमेश सिगटा शिमला नामी कैडबरी इंडिया लिमिटेड कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में सलाहक
रमेश सिगटा, शिमला
नामी कैडबरी इंडिया लिमिटेड कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में सलाहकार नियुक्त करने में भी आपराधिक षड्यंत्र रचा। करीब ढाई सौ करोड़ की करों में छूट दिलाने के लिए दो लोगों को सलाहकार नियुक्त किया। इनमें से एक भाजपा नेता और दूसरा सलाहकार सेवाएं देने के लिए नहीं जाना जाता था। वे टाइल्स के डिस्ट्रीब्यूटर थे और मार्बल की दुकान चलाते थे। इनकी फर्म रजिस्टर्ड नहीं थी। इन्हें 23 तरह के लाइसेंस स्वीकृति दिलाने के लिए अधिकृत किया गया। ऐसा तत्कालीन कंपनी प्रबंधकों, निदेशकों ने सामूहिक फैसले से किया। अब कंपनी के कर्ताधर्ताओं का नपना तय माना जा रहा है। सीबीआइ जांच के अनुसार दीपक को कानूनी महारत हासिल थी। टैक्स में छूट देने की रिपोर्ट सुमित शर्मा के माध्यम से तैयार की। इसमें भी आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है। डायरेक्टोरेट ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस ने तो इस रिपोर्ट को न केवल रिजेक्ट किया था बल्कि इसकी जांच करने की बात भी कही थी। सलाहकार ने ही मैसर्ज दक्ष एसोसिएट एवं कंसलटेंट के नाम से फर्म खोली और एसबीआइ में खाता भी खोला। यह फर्म कैडबरी कंपनी को बिल जारी करने के लिए कोई भी गतिविधि नहीं करती थी। दूसरी यूनिट के लिए कब किया आवेदन
कंपनी ने दूसरी यूनिट के लिए 25 तरह की स्वीकृतियां प्राप्त करने के लिए 30 जून, 2009 से लेकर 14 नवंबर, 2010 तक आवेदन किए। ये स्वीकृतियां 2009 से लेकर 14 जनवरी, 2011 तक प्राप्त हुई। 30 मार्च, 2010 को उद्योग आयुक्त ने कंपनी से कहा कि उन्हें अलग यूनिट स्थापित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने इसकी केंद्र सरकार से क्लीयरेंस लेने को कहा। जांच में पाया गया कि करों में छूट प्राप्त करने के लिए फैक्टरी को इनकॉरपोरेट किया जाना चाहिए था। इसकी कट ऑफ डेट 31 मार्च, 2010 तक थी, लेकिन कंपनी ने पूरे मामले में तथ्यों को छिपाया और फ्रॉड तरीके से वो लाभ प्राप्त किए, जिसकी कंपनी हकदार ही नहीं थी। सबसे होगी पूछताछ
अब सीबीआइ की दिल्ली यूनिट सभी 12 आरोपितों ने पूछताछ करेगी। इनमें फर्जीवाड़े की तह तक पहुंचा जाएगा।