हॉलैंड की कंपनी पर दर्ज होगी एफआइआर
हॉलैंड की कंपनी ब्रेकल कॉरपोरेशन पर हिमाचल की विजिलेंस कभी भी एफ आइआर दर्ज कर सकती है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हॉलैंड की कंपनी ब्रेकल कॉरपोरेशन पर हिमाचल की विजिलेंस कभी भी एफआइआर दर्ज कर सकती है। सरकार की अनुमति मिलने के बाद जांच एजेंसी हरकत में आ गई है। वर्ष 2006 में किन्नौर में जंगी थोपन पोवारी पावर प्रोजेक्ट इस कंपनी को आवंटित किया गया था। आरोप है कि इसने अदानी के साथ साझेदारी की। अदानी ने 289 करोड़ रुपये की अपफ्रंट मनी जमा नहीं की। यह विवाद सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा। रिलायंस भी इस प्रोजेक्ट को लेने का इच्छुक था।
जयराम सरकार ने विदेशी कंपनी के खिलाफ जांच बैठाने का फैसला लिया है। इस संबंध में तय हुआ कि विजिलेंस जांच करेगी। सरकार से केस दर्ज करने की अनुमति भी मिल गई है। अब जल्द प्राथमिकी दर्ज होगी। जंगी थोपन पोवारी पावर प्रोजेक्ट अब 960 मेगावाट की जगह 780 मेगावाट का होगा। इसे हाल ही में सतलुज जलविद्युत निगम को देने का फैसला हुआ है। वर्ष 2006 में इस परियोजना को तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने ब्रेकल को देने का फैसला लिया था।
ब्रेकल निर्धारित अवधि के तहत अपफ्रंट मनी जमा नहीं करवा पाई थी। इस पर इस प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए बोली में दूसरे स्थान पर रही देश के शीर्ष उद्योगपति अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एतराज जता दिया कि ब्रेकल अपफ्रंट मनी जमा नहीं करवा पा रही है। इसलिए इसे रिलायंस को आवंटित किया जाए। मामला हाईकोर्ट में चला गया। बाद में ब्रेकल ने 280 करोड़ रुपये अपफ्रंट मनी जमा करवा दी।
वहीं, अदानी समूह की कंपनी ने भी दावा किया कि यह 280 करोड़ रुपये उसने जमा करवाए थे। अदानी समूह की ओर से इस रकम को आज भी वापस मागा जा रहा है। रिलायंस की याचिका का निपटारा करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने इस परियोजना के ब्रेकल को हुए आवंटन को रद कर दिया था। तत्कालीन धूमल सरकार ने इस परियोजना को रिलायंस को आवंटित करने के बजाय दोबारा बोली लगाई। ब्रेकल व रिलायंस दोनों ने प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। जयराम सरकार ने ब्रेकल पर जांच बिठाई है।