फोन टैपिग मामले की जांच होगी तेज

राज्य ब्यूरो शिमला बहुचर्चित फोन टैपिग मामले की जांच अब तेज होगी। क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Jan 2021 07:28 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jan 2021 07:28 PM (IST)
फोन टैपिग मामले की जांच होगी तेज
फोन टैपिग मामले की जांच होगी तेज

राज्य ब्यूरो, शिमला : बहुचर्चित फोन टैपिग मामले की जांच अब तेज होगी। क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) की एसआइटी केस से जुड़े तथ्यों को फिर से खंगालेगी। जैसे ही जांच में तेजी आएगी, नया साल कई के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। इस मामले में पूर्व डीजीपी आइडी भंडारी के बयान दर्ज हो चुके हैं। अब आरोपित अफसरों, सेवानिवृत्ति अधिकारियों की बारी आएगी। भंडारी से आरोप लगाया है कि तत्कालीन मुख्य सचिव, गृह सचिव सचिव और शिमला के तत्कालीन उपायुक्त के निर्देश पर सीआइडी मुख्यालय में गैर कानूनी तरीक से रेड डाली गई थी। नियमों के अनुसार वे कंप्यूटर, अलमारी को अपने कब्जे में नहीं ले सकते थे। यह अधिकार केवल पुलिस को था और इसे लेकर पहले एफआइआर दर्ज दर्ज होनी चाहिए थी। आरोप है कि तीन अहम ओहदे पर बैठे तब के अफसरों ने वीरभद्र सिंह को भी गुमराह किया था।तब वह केंद्र में मंत्री थे। पूर्व डीजीपी का दावा है कि उन्होंने वीरभद्र सिंह की सीआइडी में तैनाती के दौरान न तो कोई जासूसी की और न ही जासूसी यंत्र स्थापित किए थे। उन्होंने जांच एजेंसी को दिए बयान में साफ तौर पर कहा है कि सीआइडी प्रमुख के पद पर रहते उन्होंने किसी भी व्यक्ति का फोन अवैध तरीके से टैप नहीं किया।

क्या है मामला

पूर्व डीजीपी पर आरोप था कि उन्होंने सीआइडी में रहते बड़े पैमाने पर गैर कानूनी तरीके से फोन टैप किए। आरोपों के अनुसार ऐसे फोन की संख्या करीब पंद्रह सौ बताई गई। यह भी आरोप था कि भंडारी वीरभद्र सिंह की केंद्रीय मंत्री रहते जासूसी करवाते थे और ये जासूसी यंत्र सीआइडी मुख्यालय की अलमारी में रखे गए थे। दिसंबर, 2012 में वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से एक दिन पूर्व तत्कालीन मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीआइजी रैंक के अधिकारियों ने सीआइडी मुख्यालय में दबिश दी थी। इसके आधार पर विजिलेंस केस दर्ज किया गया।

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