स्कूल से दूरी, इंटरनेट मजबूरी
कोरोना काल से पहले सरकारी स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध था लेकिन अब इस्तेमाल मजबूरी बन गया है।
जागरण संवाददाता, शिमला : कोरोना काल से पहले सरकारी स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध था। बच्चे स्कूल में मोबाइल फोन नहीं ला सकते थे। शिक्षकों के लिए भी स्कूल समय में मोबाइल फोन सुनना प्रतिबंधित था। कोरोना काल में स्कूल से दूरी ने इंटरनेट को मजबूरी बना दिया। स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय में बच्चों की कक्षाएं आनलाइन ही लगती रहीं। इसके अलावा निजी कंपनियों ने भी आफिस के बजाय वर्क फ्राम होम काम करवाया। इस कारण इंटरनेट डाटा की खपत 40 से 45 फीसद बढ़ गई है। दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल, जियो, एयरटेल और वोडाफोन सभी की इंटरनेट की मांग बढ़ी है।
हिमाचल में करीब 70 लाख की आबादी के पास 1.22 करोड़ मोबाइल फोन और 75 हजार ब्राडबेंड कनेक्शन हैं। शिमला जिले में 21 लाख 57 हजार उपभोक्ता हैं। आनलाइन कक्षाएं लगने के कारण लोगों को मजबूरी में दो से तीन मोबाइल फोन रखने पड़ते हैं। प्रदेश में हर दिन औसतन करीब 280 टेराबाइट डाटा की खपत हो रही है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल शिमला में होता है। कोरोना संकट से पहले यह खपत 155 से 170 टेराबाइट प्रतिदिन थी। एक टेराबाइट में एक हजार जीबी के बराबर इंटरनेट डाटा होता है। बच्चों की आंखें हो रहीं खराब
अभिभावक रमेश कुमार ने बताया कि बच्चों को फोन देना नहीं चाहते, लेकिन पढ़ाई इससे हो रही है तो यह मजबूरी है। छोटा शिमला की शकुंतला देवी ने कहा कि आनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखें खराब हो रही हैं लेकिन पढ़ाई जरूरी है। कक्षा पहली से सातवीं के बच्चे भी आनलाइन कर रहे पढ़ाई
कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 में लाकडाउन लगा दिया गया था। शिक्षा विभाग ने इसके बाद बच्चों की कक्षाएं आनलाइन शुरू की। इसके लिए हर घर पाठशाला वेब पोर्टल बनाया गया। पिछले पूरे साल आनलाइन पढ़ाई हुई। इस साल 27 सितंबर से नियमित कक्षाएं शुरू हुई हैं। कक्षा पहली से सातवीं के बच्चे अभी भी आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। हिमाचल में एसरटेल के 44 लाख, जियो के 39 लाख, बीएसएनएल के 30 लाख, वोडाफोन के नौ लाख उपभोक्ता है। यह आंकड़ा मिलाकर 122 करोड़ होता है।