मजदूर, किसान व छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 05:59 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 05:59 PM (IST)
मजदूर, किसान व छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन
मजदूर, किसान व छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच, किसान सभा तथा एसएफआइ के आह्वान पर झाकड़ी, ज्यूरी, दत्तनगर, ननखड़ी व निरमंड में सैकड़ों लोगों ने केंद्र सरकार की जनता, मजदूर, किसान व छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोला। वीरवार को केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में सीटू व अन्य ट्रेड यूनियनों तथा लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया।

सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी, सीटू रामपुर क्षेत्रीय कमेटी संयोजक नरेंद्र देष्टा, सह संयोजक नील दत्त, जिला उपाध्यक्ष राजेश, सदस्य पोविद्र शर्मा, किसान सभा के जिला सचिव देवकी नंद, निरमंड ब्लॉक अध्यक्ष पूर्ण ठाकुर, सुभाष ठाकुर, रामपुर ब्लॉक किसान सभा महासचिव प्रेम चौहान, दिनेश मेहता, एसएफआइ क्षेत्रीय कमेटी सचिव राहुल, निर्माण मजदूर यूनियन ब्लॉक निरमंड के अध्यक्ष परस राम, सचिव रामदास सन्नी ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जा रही है। रामपुर क्षेत्र के हाइडल प्रोजेक्ट, आंगनबाड़ी केंद्र, मिड-डे मील, बीआरओ का निर्माण कार्य, निजी निर्माण कार्य, अस्पताल की सफाइ, नगर परिषद रामपुर, एसटीपी झाकड़ी व अन्य संस्थान बंद रहे और सबने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है और मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं व लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। सातवें वेतन आयोग व 1957 में हुए 15वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार उन्हें 21 हजार रुपये वेतन नहीं दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के कारण कोरोना काल में 15 करोड़ मजदूरों की नौकरियां चली गई और वे बेरोजगार हो गए हैं।

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