चंडीगढ़ और सोलन से आए फूल, सात बावड़ियों के जल और मिट्टी से हुआ राजतिलक

विक्रमादित्य सिंह बुशहर रिसायत के 123वें राजा बने। शनिवार क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Jul 2021 08:10 PM (IST) Updated:Sat, 10 Jul 2021 08:10 PM (IST)
चंडीगढ़ और सोलन से आए फूल, सात बावड़ियों के जल और मिट्टी से हुआ राजतिलक
चंडीगढ़ और सोलन से आए फूल, सात बावड़ियों के जल और मिट्टी से हुआ राजतिलक

संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर : विक्रमादित्य सिंह बुशहर रिसायत के 123वें राजा बने। शनिवार को पूरे विधि विधान के साथ उनका राज्याभिषेक किया गया। बुशहर रियासत की गद्दी पर बिठाकर उनका राजतिलक किया गया। देश में रजवाड़ाशाही प्रथा खत्म हो चुकी है। राज परिवार में परंपरा निभाने के लिए राजतिलक किया जाता है। राजतिलक की इस रस्म को कैमरों और आम लोगों से दूर रखा गया।

शनिवार सुबह सात बजे विक्रमादित्य सिंह को राजगद्दी के पास ले जाया गया। पंडितों ने पहले पूजा-पाठ का आयोजन किया, इसके बाद उनका राजतिलक किया गया। इस दौरान पूरे स्थान को सफेद कपड़े से ढककर रखा गया, ताकि कोई भी व्यक्ति उसके अंदर न झांक सके। राज्याभिषेक के लिए चंडीगढ़ और सोलन से गेंदे के फूल मंगवाए थे। सात बावड़ियों (दत्तनगर, नीरथ, बिथल, बजीर, बाउड़ी, तलाई और शिंगला) से जल और मिट्टी लाई गई थी। राज्याभिषेक से पहले पंडितो ने मंत्र उच्चारण कर विक्रमादित्य का पंचगव्य, सप्तधान, गंगाजल से स्नान करवाया। उसके बाद सात बावड़ियों के जल से भी स्नान करवाया गया। राजसी परिधान, खानदानी आभूषण, मुकुट पहनाने के बाद हाथ में तलवार देकर राजगद्दी पर बिठाया गया। राजगद्दी पर बिठाने के बाद राजतिलक किया गया। इस दौरान देवताओं के वाद्ययंत्रों को भी बजाया। कहा जाता है कि राज्याभिषेक के दौरान राजमहल में देवी-देवता आशीर्वाद देने के लिए आते है।

बुशहर रियासत की रस्म है कि जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो उनकी पार्थिव देह को महल से बाहर निकालने से पहले उनके वारिस का राजतिलक किया जाता है, इसके बाद ही मुखिया के अंतिम संस्कार की रस्म को निभाया जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह बुशहर रियासत के 122वें राजा थे।

chat bot
आपका साथी