पुराने चेहरों पर दांव, कसुम्पटी व शिमला ग्रामीण की अनदेखी
अनिल ठाकुर शिमला जिला परिषद में 24 में से 12 सीटें होने के बावजूद कांग्रेस को अध्यक्ष व उपाध्
अनिल ठाकुर, शिमला
जिला परिषद में 24 में से 12 सीटें होने के बावजूद कांग्रेस को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाने के लिए काफी कसरत करनी पड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह शिमला से बाहर हैं। अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चयन में उनकी ही अहम भूमिका रही। उन्होंने न केवल कांग्रेस को एकजुट रखा, बल्कि माकपा का समर्थन जुटाकर वोटों की संख्या को बढ़ा दिया।
वीरभद्र सिंह के शिमला से बाहर होने के चलते पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी के विधायक, जिलाध्यक्ष (शिमला ग्रामीण) यशवंत छाजटा और सचिव सुशांत कपरेट सदस्यों में सहमति बनाने के लिए 20 दिन से लगे हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री के निजी आवास हॉलीलॉज में कई दौर की बैठकें हुई। इसके बाद पार्टी कार्यालय राजीव भवन में प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने भी सदस्यों के साथ बैठकें की। 10 फरवरी को दिन में 11 बजे से लेकर दोपहर तक विधानसभा स्थित विधायक आवास पर लंबी बैठक हुई।
खींचतान के बाद भी सदस्यों में सहमति नहीं बन पाई तो कांग्रेस नेता सभी जिला परिषद सदस्यों को लेकर वीरभद्र सिंह से मिलने कुठाड़ पहुंचे। वीरभद्र सिंह ने सभी सदस्यों के साथ देर रात तक बैठक कर समन्वय बनाया। वीरभद्र सिंह ने माकपा के नेताओं से संपर्क साधकर उन्हें कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने के लिए तैयार करवाया। इसके बाद कांग्रेस जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर पाई। कांग्रेस में उठने लगे विरोध के स्वर
लंबी करसत के बाद भी संगठन में अंदरूनी तौर पर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। विरोध इसलिए क्योंकि पार्टी ने इस बार पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है। पार्टी ने रामपुर और रोहड़ू उपमंडल से ही अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चयन किया। जबकि शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी जहां से जिला परिषद सदस्यों की संख्या ज्यादा है उनकी अनदेखी की गई है। वीरभद्र सिंह के पुत्र शिमला ग्रामीण से विधायक हैं, जबकि कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह विधायक हैं जो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में सचिव हैं। सुरेंद्र रेटका अभी भी उपाध्यक्ष ही थे। जबकि चंद्रप्रभा नेगी पहले अध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं। समर्थक निराश होकर लौटे
जिला परिषद अध्यक्ष की दौड़ में शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आई दो महिला सदस्यों के नाम दौड़ में सबसे आगे थे। कांग्रेस के ही कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि शिमला ग्रामीण से पिछली बार भी अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस बार किसी अन्य क्षेत्र को मौका देना चाहिए। इसी खींचतान के चलते कसुम्पटी से भी कोई जिला परिषद सदस्य नहीं बन पाया। एक सदस्य के समर्थक भी उनके स्वागत के लिए पहुंच गए थे। बाद में जब वह अध्यक्ष नहीं बन पाई तो समर्थकों को निराश होकर लौटना पड़ा।