बीडीसी अध्यक्ष कांग्रेस तो उपाध्यक्ष भाजपा समर्थित जीता

संवाद सहयोगी रामपुर बुशहर लंबी खींचतान के बाद आखिर वीरवार को रामपुर पंचायत समिति (बी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 08:09 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 08:09 PM (IST)
बीडीसी अध्यक्ष कांग्रेस तो उपाध्यक्ष भाजपा समर्थित जीता
बीडीसी अध्यक्ष कांग्रेस तो उपाध्यक्ष भाजपा समर्थित जीता

संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर : लंबी खींचतान के बाद आखिर वीरवार को रामपुर पंचायत समिति (बीडीसी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो गया। एसडीएम सुरेंद्र मोहन की अध्यक्षता में हुए चुनाव में सभी पंचायत समिति सदस्यों ने भाग लिया। खंड विकास अधिकारी रामपुर केआर कपूर भी मौजूद रहे। इस दौरान कांग्रेस समर्थित आशीष कायथ अध्यक्ष व भाजपा समर्थित रुपेश्वर उपाध्यक्ष चुने गए।

हालांकि पंचायत समिति रामपुर में कांग्रेस समर्थितों का बहुमत था, बावजूद इसके समिति सदस्यों ने चुनाव की मांग की। जिसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाए गए। अध्यक्ष पद के लिए किन्नू शाहधार वार्ड से कांग्रेस समर्थित आशीष कायथ ने अपना नामांकन जमा करवाया तो धार गौरा वार्ड से भाजपा समर्थित देशदीप गौतम ने भी पर्चा भरा। वहीं उपाध्यक्ष के लिए लबाना सदाना वार्ड से कांग्रेस समर्थित हेमलता और ज्यूरी वार्ड से भाजपा समर्थित रुपेश्वर ने नामाकंन पत्र भरा। इसमें अध्यक्ष पद के लिए विजयी उम्मीदवार को 18 में से 10, जबकि भाजपा समर्थित को आठ मतों से संतोष करना पड़ा। इसमें आशीष कायथ अध्यक्ष चुने गए। जबकि उपाध्यक्ष पद के विजेता को नौ और दूसरे उम्मीदवार को आठ मत पड़े, जबकि उपाध्यक्ष पद के लिए एक मत अमान्य घोषित किया गया। यहां पर रुपेश्वर उपाध्यक्ष चुने गए। चुनाव परिणाम की घोषणा होते ही दोनों पार्टियों के कार्यकत्र्ताओं ने अपने-अपने विजेता उम्मीदवारों के साथ विजयी जश्न मनाया। बहुमत के बाद भी उपाध्यक्ष नहीं बना सकी कांग्रेस

- समर्थित अध्यक्ष को 10 और उपाध्यक्ष पद को मिले आठ मत

- कांग्रेस को चुनाव में भुगतना पड़ा क्रॉस वोटिग का खामियाजा

संजय भागड़ा, रामपुर बुशहर

पंचायत समिति रामपुर का चुनावी परिणाम आने के बाद से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए रामपुर में कांग्रेस 11 समर्थित सदस्य होने का दावा कर रही थी। लेकिन जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो हर कोई दंग रह गया कि बहुमत होने के बाद भी उपाध्यक्ष की सीट कैसे भाजपा की झोली में चली गई। जबकि कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को 18 में से 10 और उपाध्यक्ष को मात्र आठ ही मत पड़े। इससे साफ है कि काग्रेस समर्थित ने क्रॉस वोटिंग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के गृह क्षेत्र में इस बार भाजपा भी समिति में उपाध्यक्ष के रूप में अपना प्रतिनिधि बैठाने में कामयाब हो गई। कांग्रेस का शुरू से ही दावा था कि इस बार भी उनके ही समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगे, लेकिन जैसे ही एसडीएम ने चुनाव परिणाम घोषित किया तो हर कोई हैरान हो गया। इससे साफ है कि कांग्रेस समर्थित किसी सदस्य ने भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार पसंद न होने के कारण क्रॉस वोटिग कर भाजपा को भी लाभ पहुंचाया है।

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