बर्फबारी के बीच बिजट महाराज बड़े भाई से मिलने पहुंचे

देवठन पर्व पर भारी बर्फबारी के बीच बिजट महाराज बड़े भाई शिरगुल महाराज से मिलने पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 03:18 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 03:18 PM (IST)
बर्फबारी के बीच बिजट महाराज 
बड़े भाई से मिलने पहुंचे
बर्फबारी के बीच बिजट महाराज बड़े भाई से मिलने पहुंचे

क्षितिज सूद, नेरवा

देवठन पर्व पर भारी बर्फबारी के बीच बिजट महाराज बड़े भाई शिरगुल महाराज से मिलने चूड़धार पहुंचे। बिजट महाराज का स्नान के बाद बड़े भाई से मिलन करवाया गया। इसके बाद शिरगुल देवता मंदिर के कपाट पांच माह के लिए बंद कर दिए। प्रति वर्ष होने वाले देवठन पर्व में आम तौर पर पांच से छह हजार के बीच श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण करीब 500 श्रद्धालु ही चूड़धार पहुंचे।

चूड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बाबू राम शर्मा ने बताया कि देवठन पर्व पर चूड़धार में भारी बर्फबारी के बाद मंदिर के पुजारी, समिति के पदाधिकारी व सदस्य, मंदिर कमेटी के सदस्य तथा होटल व ढाबे वाले चूड़धार से चले गए हैं। चूड़धार में खाने-पीने और ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने श्रद्धालुओं व ट्रैकिग के शौकीन युवाओं से आग्रह किया कि बर्फ के बीच चूड़धार की यात्रा या ट्रैकिग का जोखिम न उठाएं।

देव परंपरा अनुसार पौष की संक्रांति पर देवता शिरगुल की सहमति जिसे स्थानीय भाषा में पौल लगाना कहते हैं, से बैसाख माह की संक्रांति तक कपाट बंद रखने की सदियों पुरानी परंपरा है। दिसंबर में संक्रांति वाले दिन दिन चार माह की पौल लगने के बाद बैसाख यानी अप्रैल की संक्रांति को मंदिर के कपाट खोलकर देवता की विशेष पूजा की जाती है।

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प्रशासनिक तौर पर हर साल मंदिर के कपाट 30 नवंबर से 30 अप्रैल तक बंद रहते हैं लेकिन इस बार नवंबर में ही चूड़धार में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट देवठन पर्व के साथ 26 नवंबर को ही बंद करने का निर्णय लिया गया था।

-बाबू राम शर्मा, प्रबंधक, चूड़ेश्वर सेवा समिति

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