उखड़ती सांसों को जोड़ रही एंबुलेंस सेवा
जिला शिमला में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसरत शुरू कर दी है।
जागरण संवाददाता, शिमला : जिला शिमला में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कसरत की जा रही है। वहीं जिले में चलने वाली एंबुलेंस में स्टाफ की बढ़ोतरी भी की जा सकती है। जिलेभर में 108 और 102 की 59 एंबुलेंस मरीजों के लिए सहारा बनी हुई हैं। ये एंबुलेंस मरीजों को 24 घंटे की सेवा प्रदान कर रही हैं। इसमें काम करने वाले कर्मी 12-12 घंटे की ड्यूटी देकर मरीजों की सेवा में जुटे हैं।
जिले में 108 एंबुलेंस के 35 और 102 एंबुलेंस के 24 वाहन चल रहे हैं। 108 एंबुलेंस सेवा के जरिए मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है जबकि 102 जननी एक्सप्रेस सेवा के जरिए प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को घर छोड़ने की सुविधा मिलती है। वहीं एक साल तक नवजात शिशु को अस्पताल से घर ले जाने का कार्यभार भी 102 के जरिए वहन किया जाता है। 102 एंबुलेंस सेवा में दो चालक और 108 एंबुलेंस सेवा में दो चालक के साथ दो फार्मासिस्ट मौजूद रहते हैं। इस तरह इन दोनों सेवाओं में करीब 200 से ज्यादा कर्मी काम कर रहे हैं जोकि दिन और रात की दो शिफ्टों में काम करते हैं। जान हथेली पर रखकर कर रहे ड्यूटी
हिमालच प्रदेश 108 और 102 एंबुलेंस सेवा कर्मचारी यूनियन के चेयरमैन पूर्ण चंद का कहना है कि एंबुलेंस कर्मी कोरोना काल से पहले और बाद में मुस्तैदी से ड्यूटी दे रहे हैं। कोरोना काल में अपनी जान हथेली पर रखकर कर्मी दिन-रात ड्यूटी निभा रहे हैं। कई बार दूसरे कर्मी के छुट्टी जाने पर 24 घंटे ड्यूटी देनी पड़ती है। उनका कहना है कि एंबुलेंस सेवा का संचालन करने वाली कंपनी जल्द ही नए टेंडर करवाकर अतिरिक्त स्टाफ मुहैया करवा सकती है। सेब सीजन में सजग रहने की जरूरत
जिले में इन दिनों कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। रामपुर, रोहड़ू, कुमारसैन सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में मामले दर्ज किए जा रहे हैं। सेब सीजन होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए सरकार की ओर से सुझाए दिशानिर्देश का पालन करने की हिदायत दी है।