अगले माह तक पूरा करना होगा एसीएफ अभियान
जिला शिमला में टीबी की दर का पता करने के लिए एक्टिव केस फाइंडि
जागरण संवाददाता, शिमला : जिला शिमला में टीबी की दर का पता करने के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे अब अक्टूबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा है। जिले में जुलाई से शुरू हुए पहले एसीएफ अभियान में करीब 32 टीबी के मरीज मिले थे। वहीं, अब दोबारा अभियान में तेजी लाने के लिए संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों, आशा, आंगनबाड़ी कर्मियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। वहीं विभाग का कहना है कि अब तक टीबी के मरीजों के इस आंकड़े में पोस्ट कोविड मरीज शामिल नहीं हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में पोस्ट कोविड के बाद टीबी संक्रमण बढ़ने के चलते विशेष एहतियात बरती जा रही है। जिलेभर में खांसी, जुकाम के मरीजों के टेस्ट किए जा रहे हैं।
डाक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में टीबी का खतरा बढ़ सकता है। इस आशंका के आधार पर जिला स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से टीबी की जांच करने की अपील की है। जिन लोगों को कोरोना संक्रमण के बाद लंबे समय तक खांसी, जुकाम है तो उन्हें जांच करवाने के लिए कहा जा रहा है। जिला निगरानी अधिकारी डा. राकेश भारद्वाज का कहना है कि कोरोना संक्रमण होने के बाद खांसी, बुखार व जुकाम लंबे समय तक बरकरार रहे और अगर लक्षण न भी नजर आएं तो भी टीबी की जांच अवश्य करवाएं, ताकि समय रहते मरीज को इलाज मिल सके। कोरोना संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित करता है और लंबे समय तक संक्रमण बने रहने व खांसी रहने से टीबी की आशंका बढ़ जाती है। टीबी के लक्षण व बचाव
टीबी यानी ट्यूबरकोलासिस एक संक्रामक रोग है। टीबी का संक्रमण सांस से फैलता है। यह छींकने या खांसने पर मुंह से निकले कणों से भी यह रोग फैलता है। तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होना, खांसी में खून आना, सीने में दर्द या सांस लेने व खांसने पर दर्द होना, लगातार वजन कम होना, चक्कर आना, रात में पसीना आना, ठंड लगना और भूख न लगना टीबी के लक्षण हैं । टीबी की रोकथाम के लिए बच्चों को बीसीजी का टीका लगवाएं। लक्षण नजर आने पर अपने नजदीकी डाक्टर से संपर्क करें। टीबी के मरीज के संपर्क में आने से बचें।