Home Guard Foundation Day: जिम्मेदारी पूरी, सुविधाएं अधूरी; सरकार के रवैये से नाराज 6200 गृहरक्षक

Home Guard Foundation Day गृहरक्षकों को पुलिस कर्मियों के बराबर न सुविधाएं मिल रही हैं और न ही वेतन 6200 गृहरक्षक सरकार के रवैये से नाराज हैं।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 11:59 AM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 11:59 AM (IST)
Home Guard Foundation Day: जिम्मेदारी पूरी, सुविधाएं अधूरी; सरकार के रवैये से नाराज 6200 गृहरक्षक
Home Guard Foundation Day: जिम्मेदारी पूरी, सुविधाएं अधूरी; सरकार के रवैये से नाराज 6200 गृहरक्षक

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल के गृहरक्षक नियमितीकरण की बाट जोह रहे हैं। सुप्रीमकोर्ट से फैसला हक में आए साढ़े चार साल का वक्त हो गया है, लेकिन सरकार अभी तक नीति  नहीं बना पाई है। 6200 गृहरक्षक सरकार के रवैये से नाराज हैं। संगठन को सरकार के खिलाफ अवमानना का केस चलाने के लिए कानूनी जंग लड़नी पड़ रही है। पूर्व कांग्रेस ने आधा-अधूरा फैसला लागू किया था।

 2017 में दिसंबर में बेशक सत्ता बदली, पर गृहरक्षकों की तकदीर में कोई बदलाव नहीं आया है। न पुलिस के बराबर हर रैंक में पूरी सुविधाएं मिल रही हैं और न ही समान वेतन। कई बार सेवाओं में भी ब्रेक दिया जाता है। इससे इनको परिवार के पालन-पोषण में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।


कितने रैंक होल्डर

गृहरक्षकों में 1800 रैंक होल्डर हैं। इनमें सेक्शन लीडर, हवलदार, प्लाटून कमांडर, सीनियर प्लाटून कमांडर, कंपनी कमांडर शामिल हैं। गृहरक्षक, थाने, चौकियों से लेकर कई विभागों में कानून व्यवस्था की सेवाएं दे रहे हैं। इनमें राष्ट्रपति आवास, हाईकोर्ट, राजभवन, जेलें, विजिलेंस, सीआइडी, शिक्षा विभाग, मंदिर, एफसीआइ, स्वास्थ्य संस्थान, ट्रेजरी, उपायुक्त कार्यालय, पर्यटन आदि विभाग शामिल हैं। प्रदेश से बाहर के राज्यों में भी इनकी चुनाव में ड्यूटी लगाई जाती है।

पूर्व धूमल सरकार के कार्यकाल में गृहरक्षकों के संगठन ने हाईकोर्ट में केस किया था। सरकार ने संगठन से केस वापस लेने का आग्रह किया था। इसके बदले गृहरक्षकों का सेवाकाल 58 साल किया गया। गृहरक्षक संगठन की स्थापना छह दिसंबर 1962 को हुई थी। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी है। शीर्ष अदालत के फैसले को सरकार लागू नहीं कर पाई है। सरकार गृहरक्षकों के लिए नियमितीकरण नीति

बनाए। पंजाब और हरियाणा की तरह वेतन दिया जाए।

 

नहीं मिल रहा संशोधित वेतनमान

गृहरक्षकों को संशोधित वेतनमान से वंचित रखा है। गृहरक्षकों को 1900 रुपये ग्रेड पे जबकि पुलिस कर्मियों का ग्रेड पे 3200 रुपये है। गृहरक्षकों ने पंजाब व चंडीगढ़ की तर्ज पर लाभ देने की मांग की है। हिमाचल में गृहरक्षकों के स्वीकृत पद साढ़े आठ हजार हैं। इनमें से छह हजार दो सौ गृहरक्षक कार्यरत हैं, बाकी पद रिक्त हैं।

1962 में हुई होमगार्ड की स्थापना

हिमाचल में 1962 में होमगार्ड की स्थापना की गई थी। तबसे लेकर गृहरक्षक पुलिस बल के साथ सहयोग के अतिरिक्त प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते आ रहे हैं। 1971 में इसका अलग एक्ट बना। अब छह दिसंबर को संगठन 57वां स्थापना दिवस मनाएगा।

हम सुप्रीमकोर्ट से 11 मई 2015 को केस जीते थे। इसके बाद राज्य सरकार ने होमगार्डों को पुलिस  कांस्टेबल के बराबर वेतन दे दिया, लेकिन एरियर नहीं दिया। इसके लिए भी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। संशोधित वेतन अब तक नहीं दिया है। सरकार ने नियमित करने की कोई नीति नहीं बनाई। न पूर्व सरकार ने कोई पहल की और न ही मौजूदा सरकार कुछ कर रही है। कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए शीष अदालत में अवमानना का केस लड़ना पड़ रहा है।

-प्रकाश नेगी, मुख्य सलाहकार, गृहरक्षक कल्याण संघ।

 

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