देसी इलाज पड़ रहा भारी, लोग नहीं दिखा रहे समझदारी
जागरण संवाददाता मंडी सांप के काटने पर डाक्टरी जांच करवाने के बजाय देसी इलाज के प्रति
जागरण संवाददाता, मंडी : सांप के काटने पर डाक्टरी जांच करवाने के बजाय देसी इलाज के प्रति रूझान लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। रविवार को भी लडभड़ोल क्षेत्र की महिला भी देसी इलाज के चक्कर में जान चली गई। मंडी जिले में तीन सालों में 210 मामले सांप के काटने के आए हैं, जिसमें चार लोगों की मौत हो चुकी है।
रविवार को 48 वर्षीय बर्फी देवी भी सांप के काटने के बाद डाक्टर के पास जाने के बजाय झाड़ फूंक कर जहर उतारने का दावा करने वाले देसी झोलाछाप डाक्टर के पास चली गई। कुछ समय तक तो उसे कुछ एहसास नहीं हुआ लेकिन देर शाम जब तबीयत बिगड़ी तो स्वजन उसे लडभड़ोल अस्पताल और वहां से टांडा ले गए जहां उसने दम तोड़ दिया। सरकार व प्रशासन बार-बार लोगों से आग्रह करता है कि सांप काटने के तुरंत बाद घाव को अच्छे से धोने के बाद तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
हिमाचल में पाए जाने वाले अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते हैं, लेकिन लोगों की लापरवाही भारी पड़ जाती है। मंडी में 2018 में 45, 2019 में 84 और 2020 में 81 मामले सांप के काटने के सामने आए थे। इसमें से अधिकतर लोग अस्पताल पहुंचे और उनकी जान बची है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. दिनेश ठाकुर बताते हैं कि आमतौर सांप से काटने पर जान जाने के मामले कम हुए हैं लेकिन अब भी कुछ लोग देसी इलाज के चक्कर में पड़कर अपनी जान दांव पर लगाते हैं। इसमें कुछ तो अस्पताल आने पर बच जाते हैं, जबकि कुछ की मौत हो जाती है। लोगों से आग्रह है कि सांप काटे तो तुरंत अस्पताल आएं।