सुंदरनगर में विराजते हैं गुप्त अमरनाथ

जम्मू के बालटाल में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा का दूसरा स्वरुप हिमाचल के सुंदरनगर मे है। गुप्त अमरनाथ के नाम से प्रचलित से गुफा में पूरा शिव परिवार मौजूद है। जिला मुख्यालय से करीब साठ किलोमीटर दूर सुंदरनगर के धारली नामक स्थान में स्थित इस पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। ग्राम पंचायत जरल के धारली गांव

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 05:29 PM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2020 05:35 PM (IST)
सुंदरनगर में विराजते हैं गुप्त अमरनाथ
सुंदरनगर में विराजते हैं गुप्त अमरनाथ

संवाद सहयोगी, सुंदरनगर : जम्मू के बालटाल में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा का दूसरा स्वरूप हिमाचल के सुंदरनगर में है। गुप्त अमरनाथ के नाम से प्रचलित गुफा में पूरा शिव परिवार मौजूद है। जिला मुख्यालय से करीब साठ किलोमीटर दूर सुंदरनगर के धारली नामक स्थान में स्थित इस पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए सड़क से जाया जा सकता है।

ग्राम पंचायत जरल के धारली गांव में विद्यमान यह प्राचीन गुफा अंदर से 40 फुट लंबी और 20 फुट उंची है। इसमें एक समय पर लगभग 200 श्रद्धालु बैठ सकते हैं। पवित्र अमरनाथ ही भांति इस गुफा में एक प्राकृतिक शिवलिग मौजूद है। शिवलिग के ठीक ऊपर गंगा माता हैं, जिनके जल से शिवलिग का वर्ष के छह माह से अभिषेक होता है। वर्तमान में इसकी देखभाल शिव गुफा कमेटी धारली और स्वामी कुशलानंद महाराज द्वारा की जाती है। स्वामी कुशलानंद महाराज बताते हैं कि गुफा के अंदर विद्यमान शिवलिग के दर्शनों के लिए तीन द्वार हैं। पहला द्वार शिला के नीचे का संकरा रास्ता है, जिसे अब बड़ा कर दिया गया है। दूसरे द्वार पर भगवान शंकर के गण मौजूद हैं। किसी भक्त पर काली ताकतों का प्रभाव हो वे इससे आगे गुफा में जा नहीं पाते हैं। तीसरे और अंतिम द्वार पर भगवान शिव के परम भक्त नंदी मौजूद है। इस स्थान पर नंदी से आज्ञा लेकर शिवलिग के दर्शन गर्भगृह में किए जाते हैं। गुफा में शिव परिवार की मौजूदगी पाषाण रूप में मौजूद है। इसमें पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, योगनी और वाहन हैं। गुफा के ऊपर मौजूद पत्थर पूरी तरह से मृगशाला के तौर पर प्रतीत होते हैं। अंदर से इसकी शुरुआत नहीं दिखाई देती है, लेकिन इसके चमत्कारिक गुण के कारण गुफा के बाहर से रोशनी आकर सीधा शिवलिग पर ही पड़ती है। लाखों वर्षों से यह यहां पर मौजूद है। इस शिवलिग के दर्शन करने से साक्षात अमरनाथ के दर्शन करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 1975 में पौड़ाकोठी निवास धनीराम शर्मा ने की थी खोज

स्वामी कुशलानंद महाराज बताते हैं कि गुफा को पहली बार वर्ष 1975 में पौड़ाकोठी निवासी धनी राम शर्मा द्वारा ढूंढा गया था। धनी राम को अपने स्वप्न में धारली शिव गुफा व ऋषि मुनि दिखाई देते थे। उनके घर पर परिवार के सदस्य बीमार होने लगे और उन्हें खेल आनी लग गई। किसी जानकार ने उन्हें उसी गुफा में जाने को कहा। इसके बाद उन्होंने इसे ढूंढा और यहां पर शिव पुराण कथा करवाने के बाद उनके घर के सदस्यों को इसका लाभ मिला। श्रावण मास और महाशिवरात्रि में बढ़ जाता है महत्व

सरस्वती महाराज ने बताया कि श्रावण मास और महाशिवरात्रि में इस गुफा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन दो बार सांप द्वारा गुफा की परिक्रमा भी की गई है। यह गुफा लाखों वर्ष पुरानी है। कमेटी का गठन लगभग 7 साल पहले हुआ था। तब से लेकर यहा पर धीरे-धीरे विकास करवाया जा रहा है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु गुप्त अमरनाथ धारली के दर्शन करने आते हैं।

गगन कुमार, प्रधान शिव गुफा कमेटी धारली सुंदरनगर

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