आपात स्थिति में लोगों का जीवन बचा रहा ट्रामा सेंटर

जागरण संवाददाता मंडी नरेचौक मेडिकल कालेज में ट्रामा सेंटर आपात स्थिति में आने वाले मर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:24 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:24 PM (IST)
आपात स्थिति में लोगों का जीवन बचा रहा ट्रामा सेंटर
आपात स्थिति में लोगों का जीवन बचा रहा ट्रामा सेंटर

जागरण संवाददाता, मंडी : नरेचौक मेडिकल कालेज में ट्रामा सेंटर आपात स्थिति में आने वाले मरीजों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। 30 बिस्तर के ट्रामा सेंटर चार चिकित्सक 10 नर्सो की टीम तैनात रहती है। माह में करीब 300 मरीज मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, बिलासपुर व लाहुल-स्पीति से यहां पहुंचते हैं। अब इसे टाइप थ्री से अपग्रेड कर टाइप टू बनाने के लिए मेडिकल कालेज प्रबंधन ने प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

मेडिकल कालेज के मुख्य गेट के पास स्थित इस ट्रामा सेंटर में आपरेशन थियेटर सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं हैं। यहां सिटी स्कैन, एक्स-रे सहित अन्य टेस्टों की सुविधा मौके पर ही मुहैया करवा दी जाती है। मरीज की हालात थोड़ी ठीक होने के बाद उसे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। न्यूरोसर्जन व कार्डियोलाजिस्ट न होने से रेफर करने पड़ते हैं मरीज

हृदयाघात या अन्य बीमारी की स्थिति में यहां पहुंचने वाले मरीजों को मेडिसिन विभाग के डाक्टर उपचार देते हैं। स्टेंट डालने या एंजियोग्राफी की स्थिति में ही मरीजों को आइजीएमसी शिमला या टांडा मेडिकल कालेज (कांगड़ा) भेजा जाता है। न्यूरोसर्जन व कार्डियोलाजिस्टि (हृदय रोग विशेषज्ञ) न होने के कारण समस्या आती है। टाइप टू बनने पर मशीनरी व आपरेशन थियेटर बढ़ेंगे

सरकार अगर इस ट्रामा सेंटर को टाइप टू में तबदील करती है तो यहां पर कार्डियक मानिटर, वेंटीलेटर की संख्या में बढ़ोतरी होगी। एक नया आपरेशन थियेटर बनेगा। इससे न्यूरोसर्जन व काडियोलाजिस्ट को टांडा मेडिकल कालेज या आइजीएमसी शिमला से अटैच किया जा सकता है। ट्रामा सेंटर में आने वाले मरीजों को तुरंत उपचार दिया जाता है। एक माह में 300 के करीब मामले आते हैं। न्यूरोसर्जन व कार्डियोलाजिस्ट न होने के कारण ऐसे मरीजों को रेफर करना पड़ता है।

-डा. संदीप कालिया, विभागाध्यक्ष ओर्थो एवं प्रभारी ट्रामा सेंटर, नेरचौक मेडिकल कालेज।

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