कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों का अलग रखना होगा डाटा

जागरण संवाददाता मंडी कोरोना महामारी की तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों को

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:00 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:00 AM (IST)
कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों का अलग रखना होगा डाटा
कोरोना की चपेट में आने वाले बच्चों का अलग रखना होगा डाटा

जागरण संवाददाता, मंडी : कोरोना महामारी की तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एडवाइजरी जारी की है। अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि आयोग ने महासचिव बिंबाधर प्रधान के माध्यम से एडवाइजरी दी है। इसमें कोरोना संक्रमित, ठीक हुए व मारे गए बच्चों का अलग से डाटा रखने सहित अनाथ हुए बच्चों को तुरंत राहत देने को कहा गया है। बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल देखभाल संस्थानों और अनाथ बच्चों के चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर 14 बिदुओं पर जारी की गई है।

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ये दिए हैं आदेश

-बाल चिकित्सा कोविड अस्पतालों और प्रोटोकाल को मजबूत करें। सभी अस्पतालों को चाइल्डलाइन (1098), स्थानीय बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, स्थानीय पुलिस के नंबर प्रदर्शित हों।

-केंद्र और राज्य स्तर पर मंत्रालयों और विभागों को भी अपनी वेबसाइट पर तुरंत कोविड से संबंधित एक पेज स्थापित करना चाहिए, ताकि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित आदेशों को साझा किया जा सके।

-जिलाधिकारियों को माता-पिता की मृत्यु के 4-6 सप्ताह के भीतर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ें। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा 'पीएम- केयर्स फार चिल्ड्रेन' योजना के तहत घोषित लाभों में तेजी लानी होगी।

-कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए सभी बच्चों के पुनर्वास में राज्यवार प्रगति को दर्शाना।

-बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए 1800-121-2830 पर टोल-फ्री परामर्श सेवा संवेदना का प्रसार।

-पाजिटिव पाए गए, ठीक हो गए और वायरस के कारण मर गए, बाल चिकित्सा कोविड देखभाल सुविधाओं को मजबूत करने के लिए विशेष कदम उठाए गए का डाटा अलग से रखें।

-बच्चों के लिए आनलाइन शिक्षा तक पहुंच के लिए डिजिटल सुविधाओं का सार्वभौमीकरण सुनिश्चित करना।

-महामारी की वजह से बच्चों को बाल श्रम, बाल विवाह या तस्करी जैसी दुर्घटनाओं के शिकार होने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियों के कारण स्कूल न छोड़ना पड़े।

-बाल देखभाल संस्थानों के बच्चों के लिए विशेष संगरोध केंद्र स्थापित करना।

-बाल कल्याण समितियां और किशोर न्याय बोर्ड की कार्रवाई डिजिटल माध्यम से होनी चाहिए।

-जेजेबी, सीडब्ल्यूसी, डीसीपीयू, एसजेपीयू, सीसीआइ, चाइल्डलाइन, एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मुख्य बाल सरंक्षण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जा सकता है।

-बाल देखभाल संस्थानों में वर्तमान में रह रहे बच्चों की संख्या, रिहा किए गए या परिवार, अभिभावकों को सौंपे गए, प्रायोजन प्रदान किए गए और पालन-पोषण संबंधी देखभाल, गोद लेने और रिश्तेदारी देखभाल में रखे गए बच्चों की संख्या के डाटा के अतिरिक्त बाल देखभाल संस्थानों में कोविड पाजिटिव परीक्षण वाले बच्चों, संगरोध सुविधाओं में रखे गए बच्चों आदि का डाटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

-माता-पिता दोनों की मृत्यु के मामलेपर तत्काल पुनर्वास के लिए सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किए जाए।

-जिन बच्चों ने कोविड महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया है, उनके लिए राज्य सरकार के समन्वय से बच्चों के लिए नोडल विभाग को प्रायोजन और पालन-पोषण संबंधी देखभाल को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।

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