इस तकनीक से रोका जा सकता है भूकंप
कार्यशाला में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर की सह प्राध्यापक प्रो. नीलिमा सत्यम ने कहा कि सेंसर तकनीक द्वारा भूस्खलन को रोका जा सकता है।
सुंदरनगर, जेएनएन। जवाहर लाल नेहरू राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सुंदरनगर में आयोजित भूस्खलन एवं उपायों की कार्यशाला लगाई गई। कार्यशाला का आगाज विधायक राकेश जम्वाल ने किया। कार्यशाला में नई आधुनिक तकनीक, जो भूस्खलन को रोक सके, के बारे में चर्चा की गई। भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश एक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है। सभी विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदेश में भूस्खलन को रोकने के लिए नई तकनीक का उपयोग करना जरूरी है।
कार्यशाला में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर की सह प्राध्यापक प्रो. नीलिमा सत्यम ने कहा कि सेंसर तकनीक द्वारा भूस्खलन को रोका जा सकता है। उनके द्वारा एक मामले का अध्ययन, जो कलीमपौंग (पश्चिम बंगाल) में प्रभावी रूप से उपयोग में लाई जा चुकी है, के बारे में बताया। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर के प्रो. राकेश कुमार दत्ता ने जियोग्रिड, जियो टैक्सटाइल सामग्री का उपयोग भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में करने पर बल दिया। जियोग्रिड के उपयोग के साथ रिर्टेंनग वॉल के खर्च को कम किया जा
सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के सहायक प्राध्यापक उदय कला ने कई तकनीकी जानकारी पर प्रकाश डाला। इंजीनिर्यंरग कॉलेज सुंदरनगर के प्रधानाचार्य प्रो. रमन प्रर्थी ने बताया कि संस्थान विश्व बैंक तकनीकी गुणवत्ता कार्यक्रम के अधीन चुना गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत कॉलेज में दस करोड़ की राशि तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए दी गई है। कार्यशाला संयोजक प्रो. एसपी गुलेरिया ने बताया कि भविष्य में इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन संस्थान में किया जाएगा। कार्यशाला में प्रदेश पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर, बहुतकनीकी अभियांत्रिकी कॉलेज के प्राध्यापक, सीमेंट कंपनी के प्रतिनिधि व जनपद अभियांत्रिकी के विद्यार्थियों सहित 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया।