देवी-देवता के महामिलन का फिर गवाह बनेगा ढालपुर

लंबे इंतजार के बाद इस साल देवमहाकुंभ यानी अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव म

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 07:15 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 07:15 PM (IST)
देवी-देवता के महामिलन का फिर गवाह बनेगा ढालपुर
देवी-देवता के महामिलन का फिर गवाह बनेगा ढालपुर

कमलेश वर्मा, कुल्लू

लंबे इंतजार के बाद इस साल देवमहाकुंभ यानी अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं का महामिलन होगा। कुल्लू के ढालपुर मैदान में होने वाले इस देवकारज का हर साल लोगों की भांति देवी-देवता भी बेसब्री से इंतजार करते हैं। साल 2019 में दशहरा उत्सव के समापन पर फिर मिलने का वादा कर बिछुड़े देवी-देवताओं का 2020 में कोरोना महामारी की वजह से मिलन नहीं हो पाया था। ऐसे में महामिलन के लिए उन्हें एक साल और इंतजार करना पड़ा।

इस बार सभी 332 देवी-देवताओं को प्रशासन की ओर से निमंत्रण दिया जा रहा है। लिहाजा, देव और मानुष के मिलन के अनूठे उत्सव अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव इस बार देवी-देवताओं के मिलन का गवाह बनेगा। उधर, जिला कारदार संघ के अध्यक्ष जय चंद ने बताया कि सभी देवी-देवताओं को प्रशासन की ओर से निमंत्रण भेजा जा रहा है, जिससे देवसमाज खुश है। जिस तरह से इंसान अपने रिश्तेदारों से शादी व अन्य किसी कार्यक्रम में मिलता है, उसी तरह कुछ देवी-देवता दशहरा उत्सव में ही मिलते हैं।

शिव का पूरा परिवार होगा शामिल

दशहरा उत्सव में हर साल शिव भगवान (बिजली महादेव) का पूरा परिवार भी मिलता है। सात दिन तक खराहल घाटी के आराध्य देव बिजली महादेव, चौंग की माता पार्वती, ऊझी घाटी के घुड़दौड़ के गणेश व उनके भाई मनाली से कार्तिक स्वामी के रथ साथ-साथ रहते हैं। आपस में बंधी रिश्तों की डोर

इंसान ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं की भी आपस में रिश्तों की डोर बंधी हुई है जिसका उदाहरण हर साल कुल्लू दशहरा में देखने को मिलता है। उत्सव में देवी-देवताओं के दादू कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण कतरूसी नारायण इस उत्सव में कभी शरीक नहीं होते हैं। उनके स्थान पर उनके पौत्र क्षेत्रपाल थान उत्सव में हाजिरी भरते हैं। परिवार की दादी माता हडिबा का दशहरा उत्सव में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हीं के आने से देव परंपराओं का आगाज होता है।

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