समय पर मिला उपचार, रेबीज से नहीं हुई मौत
जागरण संवाददाता मंडी कुत्ते के काटने का सही समय पर उपचार मिलने के कारण मंडी जिला
जागरण संवाददाता, मंडी : कुत्ते के काटने का सही समय पर उपचार मिलने के कारण मंडी जिला के लोगों में रेबीज के लक्षण नहीं देखे गए हैं। ऐसा कोई मामला जिला में रिपोर्ट नहीं हुआ और न ही कोई मौत हुई। जबकि 7247 लोगों को कुत्ते काट चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो सिविल अस्पतालों में एंटी रेबीज के इंजेक्शन मौजूद हैं। हाल ही में 2000 इंजेक्शन का नया स्टाक जिला स्वास्थ्य विभाग को मिला है। आंकड़ों की बात करें तो 2018 में कुत्ते के काटने के 3118 मामले, 2019 में 3917, 2020 में 5301 और 2021 में अगस्त माह तक 1946 मामले आ चुके हैं। इसी तरह सांप के काटने के 2018 में 45, 2019 में 84, 2020 में 81 मामले हैं। स्क्रब टायफस के 2018 में 185, 2019 में 30, और 2020 में 17 मामले सामने आए थे, 2021 में 20 के करीब मामले सामने आए हैं जिसमें कटौला की एक लड़की की मौत शिमला में हुई है। अधिकारियों की माने तो सही समय पर उपचार और इंजेक्शन लगने के कारण किसी व्यक्ति की मौत रेबीज से होने का कोई रिकार्ड दर्ज नहीं है। ये बरतें सावधानियां
कोई कुत्ता, बंदर या अन्य जानवर काटता है तो उस स्थान को तुरंत साफ पानी या डेटोल से लगभग 15 से 20 मिनट तक धोएं। अगर खून ज्यादा बह रहा हो तो उस जगह को बांधकर तुरंत चिकित्सक के पास पहुंचे। आमतौर पर लोग झाड़ फूंक व देसी इलाज में लग जाते हैं, जिस कारण कुत्ते के लारवा से वायरस को शरीर में पनपने का मौका मिलता है। रेबीज के कारण व्यक्ति पागल हो सकता है और उसकी मौत हो जाती है। मंडी जिले में दो साल में रेबीज के कारण किसी की मौत का रिकार्ड नहीं है। विभाग के पास हाल ही में 2000 एंटी रेबीज इंजेक्शन का स्टाक और पहुंचा है। इससे पहले भी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन मौजूद हैं।
-डा. दिनेश ठाकुर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी मंडी।