देवी-देवता लौटे, सूना हुआ ढालपुर मैदान
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव समाप्त होते ही कुल्लू में रौनक खत्म हो गई है।
संवाद सहयोगी, कुल्लू : अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव समाप्त होते ही कुल्लू में रौनक खत्म हो गई है। सभी देवी-देवता दशहरा उत्सव से अपने-अपने देवालय लौट गए हैं। इस कारण ढालपुर मैदान सूना हो गया है। कुल्लू में दशहरा उत्सव 15 से 21 अक्टूबर तक आयोजित किया गया जिसमें 285 देवी देवताओं ने भाग लिया।
दशहरा उत्सव के दौरान ढालपुर मैदान में देवधुन से पूरा कुल्लू गूंजता रहा। सात दिन तक सुबह शाम दो समय देवी देवताओं की पूजा अर्चना होती थी। वीरवार को दशहरा समाप्त होते ही रौनक समाप्त हो गई। दशहरा उत्सव में सबसे दूरदराज क्षेत्र आनी, निरमंड से आए देवी देवता तीसरे दिन अपने देवालय पहुंचते हैं। तीन दिनों तक पैदल सफर कर देवता के साथ उनके कारकून व देवलू भी उसी दिन पहुंचते हैं। सात दिन कुल्लू में सभी कारकूनों ने तपस्वियों की तरह बिताए। आनी के कोट भझारी देवता के कारदार भागे राम राणा ने बताया कि वीरवार को देवता भझारी कोट कुल्लू से रवाना हुए और रात को औट में विश्राम किया। सुबह होते ही देवता औट से चले और शुक्रवार शाम को शोझा में पहुंचे जहां रात को ठहरेंगे। शनिवार को यहां से देवता अपने देवालय पहुंचेंगे। सात दिन से देवता का देवालय भी सुनसान पड़ा है। शनिवार को मंदिर में देवता की पूजा अर्चना की जाएगी। उन्होंने बताया कि हर वर्ष देवता दशहरा उत्सव के लिए कुल्लू जाते हैं। निरमंड से आए देवी देवता रविवार को अपने देवालय पहुंचेंगे। शिमला के डोडरा क्वार से पहली बार दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए आई माता चामुंडा को अपने देवालय में पहुंचने के लिए 22 दिन लगेंगे।