माउंट एवरेस्ट फतेह कर तिरंगा फहराने वाले पांचवें लाहुली बने महेंद्र लारजे
लाहुल के महेंद्र लारजे ने 22 मई को विश्व के सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता पाई है।
मनाली, जसवंत ठाकुर। लाहुल स्पीति के एनएसजी कमांडो असिस्टेंट कमांडेंट महेंद्र लारजे माउंट एवरेस्ट फतेह कर तिरंगा फहराने वाले पांचवें लाहुली बने है। उन्होंने 22 मई को विश्व के सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफलता पाई है। इससे पहले लाहुल घाटी के अमर प्रकाश, प्रेम सिंह, नील चन्द, रजत माउंट एवरेस्ट को फतेह कर चुके है। लाहुल घाटी के रापे गांव के महेंद्र एनएसजी ब्लैक कैट एवरेस्ट की एक्सपीडिशन टीम के 12 सदस्यों में शामिल रहे। महेंद्र ने इस उपलब्धि से अपने जिले व गांव का नाम रोशन किया है। इस एनएसजी टीम को महानिदेशक सुदीप लखटकिया, एनएसजी ने 30 मार्च को तिरंगा देकर रवाना किया था। टीम की विजय पर गांव रापे में महेंद्र के घर खुशी का माहौल है। यह टीम जून के पहले हफ़्ते को भारत वापिस आएगी।
किसान के बेटे ने नाम रोशन किया लाहुल स्पिति का
1986 में रापे गांव के किसान परिवार प्रेम लाल और सोनम अंगमो के घर जन्मे महेंद्र ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से मास-कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी की। 2011 में मेधावी और प्रतिभाशाली महेंद्र को पैरा मिलिट्री फोर्स, बीएसएफ़ में असिस्टेंट कमांडेंट बनने का गौरव हासिल हुआ। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग डेपुटेशन पर एनएसजी (ठरॅ) में हुई है ।
22 मार्च को रवाना हुई थी टीम
2019 में भारत का एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में महेंद्र समेत एनएसजी पुरुषों के टीम को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 22 मई 2019 को सुबह 6:30 बजे पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे लाहौल स्पीति के पांचवे पर्वतारोही बने।
वीरेंद्र ने दी आपमे भाई की सफलता की जानकारी
महेंद्र ने माउंट एवरेस्ट में तिरंगा फहराने के बाद बेस कैंप में सेटेलाइट के जरिए एवरेस्ट फतह करने की सूचना अपने घरवालों और बड़े भाई विरेंद्र को दी और फोन पर एवरेस्ट अभियान के अनुभव साझा किए। महेंद्र ने बताया कि 22 मई की सुबह छह बजे के आसपास जब एवरेस्ट की 8400 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तो ऑक्सीजन मास्क ने काम करना बंद कर दिया था ऐसे में आगे बढ़ पाना संभव नहीं था पर हिम्मत नहीं हारा और एवरेस्ट शिखर पर भारत का झंडा लहराया। नीचे आते समय कैम्प 4 पर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया और सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी पर सही से बेस कैंप पहुंच गए । महेंद्र ने बताया हिलेरी पाइंट में रास्ता संकरा होने के कारण शिखर तक पहुंचने में दिक्कत हुई। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान इस सीजन में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से छह पर्वतारोही भारतीय हैं । गुरुवार को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान दो भारतीय पर्वतारोही की जान चली गयी।
जून के पहले सप्ताह भारत लौटेगा दल
जून के पहले हफ्ते में यह दल वापस आ जाएगा। इससे पहले ये दल 7135 मीटर की ऊंचाई वाली लद्दाख के माउंट नून और हिमाचल प्रदेश में 6455 मीटर ऊंचाई वाली माउंट जोगिन एक जैसी कई ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहरा चुका है। एनएसजी के महानिदेशक सुदीप लखटकिया ने एवरेस्ट पर जीत हासिल करने वाले जवानों को बधाई देते हुए कहा कि जवानों के दृढ़ निश्चय, जीतने की जिद, धैर्य, साहस और कठिन हालात में हार न मानने का जज्बे के बदौलत ही असंभव को संभव कर दिखाया। ब्लैक कैट का मोटो भी है साहस की विजय और यही कर भी दिखाया है।
युवाओं को दिया संदेश
लाहुल घाटी से माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाले 5वें लाहुली बने महेंद्र ने युवाओ को नशे से दूर रहने की सलाह दी है। इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है सफलता उसी का कदम चूमती है। कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं।
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