शोषित महिलाओं की आवाज बनीं मधुरवीणा

पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा होता है। अगर यह डोर थोड

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 05:48 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 05:48 PM (IST)
शोषित महिलाओं की आवाज बनीं मधुरवीणा
शोषित महिलाओं की आवाज बनीं मधुरवीणा

कमलेश वर्मा, कुल्लू

पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा होता है। अगर यह डोर थोड़ी सी कमजोर हो जाए तो रिश्ते टूटने में देर नहीं लगती। रिश्ते टूटने से बचाने व महिला हिसा रोकने में जिला कुल्लू की समाजसेवी मधुरवीणा महिला अधिकारों के प्रति और शोषण के खिलाफ जागरूकता की अलख जगा रही हैं। साथ ही महिला सशक्तीकरण, विशेष व बेसहारा बच्चों के उत्थान के लिए सालों से काम कर रही हैं।

जिला कुल्लू की लगघाटी के धाराबाग गांव में तेज राम व तेजी देवी के घर 23 मार्च 1966 को जन्मी मधुरवीणा ने 1990 से हिमाचल प्रदेश महिला कल्याण मंडल कुल्लू संस्था का गठन कर समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा। बकौल मधुरवीणा, बचपन में गांव में पति-पत्नी के लड़ाई झगड़ों के किस्से सुनती थी। उसके बाद हिंसा की शिकार महिलाओं को न्याय दिलाने और टूटते रिश्तों को जोड़ने का कार्य करने की मन में ठानी। सरवरी स्थित हिमाचल प्रदेश महिला कल्याण मंडल की निदेशक व परामर्शदाता मधुरवीणा ने 30 साल में घरेलू हिसा, वैवाहिक जीवन में मतभेद, मानसिक, शारीरिक और मौखिक यातना व आर्थिक संकट के तीन हजार से ज्यादा मामले निपटाए, जो कोर्ट में भी नहीं सुलझ पाए थे। इसके लिए उन्हें कई बार सम्मान भी मिल चुका है। खुद निपटाती हैं 80 फीसद मामले

मधुरवीणा के अनुसार दांपत्य संबंधों की डोर कमजोर होने पर लोग या तो कोर्ट जाते हैं या महिला कल्याण मंडल कुल्लू की दहलीज पर कदम रखते हैं। परामर्श केंद्र में करीब 80 फीसद ऐसे मामलों को वह काउंसिलिंग और गांव-गांव जाकर उनके बारे में पूरी छानबीन कर निपटारा करती हैं। 20 फीसद मामले ऐसे होते हैं जो काफी मुश्किल होते हैं और उन्हें सुलझाने में परिवार परामर्श केंद्र भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाता। 3009 मामलों का कर चुकी हैं समाधान

मधुरवीणा पहले अकेले ही सामाजिक कार्य में जुटी थी, लेकिन अब एक और महिला शम्मी भी उनके साथ महिलाओं को न्याय दिला रही हैं। उनके साथ अन्य सदस्य ललिता शर्मा, ईशरा देवी, कौशल्या भागीरथ और नीलम उपाध्याय भी जुड़े हैं। वह अब तक 3009 मामलों का समाधान कर पीड़ितों को राहत दिला चुकी हैं। मधुरवीणा चंद्रआभा ब्लाइंड संस्था की सह संस्थापक भी हैं। सरवरी स्थित दृष्टिबाधित बच्चों के स्कूल प्रबंधन में योगदान व बच्चों को उच्च व व्यावसायिक शिक्षा दिलाने में भी कार्य कर रही हैं। महिला सशक्तीकरण के लिए वह गांव-गांव जाकर स्वयं सहायता समूहों का गठन कर जागरूक कर रही हैं।

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