दिन में चार बार होती है भगवान रघुनाथ जी की पूजा
संवाद सहयोगी कुल्लू अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी शिविर में रोजाना श्रृंगार किया जाता
संवाद सहयोगी, कुल्लू : अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी शिविर में रोजाना श्रृंगार किया जाता है। चार बार भगवान रघुनाथ जी की आरती होती है। प्रात: पूजा होती है। इसमें मात्र तिलक लगाया जाता है। मध्य पूजा, चार बजे आरती और शाम की पूजा होती है। देवी-देवताओं के महाकुंभ दशहरा उत्सव में भगवान
रघुनाथ जी का अस्थायी शिविर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सुबह चार बजे से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है और वाद्ययंत्रों, शंख की ध्वनि से पुरा कुल्लू गूंज उठा। जिलाभर से आए सैकड़ों देवी-देवता अपने अपने रिवाज से आरती करते हैं। इसमें सबसे अहम भगवान रघुनाथ की आरती होती है। दशहरा उत्सव के अधिष्ठाता देव माने जाते हैं। रघुनाथ जी रोज सीता माता के साथ सज-धज कर अपने अस्थायी शिविर में अपने सिंहासन पर विराजमान होते हैं। इसके बाद लगातार इनके दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। दशहरा पर्व में हर रोज रघुनाथ का श्रृंगार सुंदर वस्त्रों और कीमती आभूषणों से किया जाता है। संध्या के समय रघुनाथ की आरती से पहले अस्थायी शिविर में चंद्राउली नृत्य किया जाता है। जो देव समागम की शोभा और बढ़ा देता है।
रघुनाथ जी की अंगुष्ठ मात्र प्रतिमा का रोज शाही स्नान होता है। कीमती आभूषणों और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। शाम को आरती के बाद रघुनाथ जी, माता सीता और हनुमान जी के दर्शन सभी श्रद्धालुओं को करवाए जाते हैं। भगवान की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है। रघुनाथ जी को हर दिन के हिसाब से वस्त्र पहनाए जाते हैं।