सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

संवाद सहयोगी कुल्लू कुल्लू जिले में सैकड़ों लोगों ने 20 भादों शादी स्नान पर आस्था की डुबक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Sep 2021 10:06 PM (IST) Updated:Sat, 04 Sep 2021 10:06 PM (IST)
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

संवाद सहयोगी, कुल्लू : कुल्लू जिले में सैकड़ों लोगों ने 20 भादों शादी स्नान पर आस्था की डुबकी लगाई। कोरोना काल में भी लोगों में 20 भादो (भाद्रपद) को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ। कई श्रद्धालुओं ने देव स्थलों में बावड़ी में भी पवित्र स्नान किया।

कुल्लू में खीरगंगा और मणिकर्ण में गर्म पानी के चश्मों में श्रद्धालुओं ने स्नान किया, भुंतर के जिया स्थित पार्वती-ब्यास पवित्र संगम स्थल में भी भक्तों की भीड़ देखने को मिली। इसके अलावा मनाली के वशिष्ठ, ब्यासकुंड, गड़सा घाटी के झूणी, निहारगण, सरयोसर झील में भी लोगों ने डूबकी लगाई। मणिकर्ण में भक्तों के खाने-पीने सहित ठहरने का भी इंतजाम किया गया था। यह है मान्यता

मान्यता है कि भादों माह में पहाड़ों पर जड़ी-बूटियां पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं। ये अपने औषधीय गुण पानी में छोड़ देती हैं। इस दिन स्नान करने से पवित्रता ही नहीं, कई चरम रोगों का खात्मा भी होता है। जोगेंद्रनगर के नागचला व पद्धर के हिमगिरी में हुआ स्नान

जागरण टीम, जोगेंद्रनगर/पद्धर : बीस भादों के शाही स्नान पर कहीं कोरोना का साया रहा तो कहीं मनाही के बावजूद आस्था की डुबकी लगाई गई। जोगेंद्रनगर के हारगुनैण पंचायत के नागचला में इस बार शाही स्नान को लेकर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। पद्धर के हिमगिरी में लोगों ने मंदिर पहुंचकर स्नान किया।

नागचला में इस बार सजने वाली दुकानों की रौनक भी गायब रही। शनिवार को नागचला के नाग देवता मंदिर में शाही स्नान को लेकर दूर दराज क्षेत्रों के कई लोग भले ही आ पहुंचे, लेकिन उन्हें शाही स्नान की अनुमति आयोजकों के द्वारा नहीं मिल पाई। इसलिए अधिकांश श्रद्धालुओं ने मंदिरों के बाहर ही पूजा अर्चना की। नागचला में शाही स्नान की यह आस्था दशकों से चली आ रही है। मान्यता के अनुसार नि:संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति इस शाही स्नान से प्राप्त होती है। वहीं नई फसलों को भी भेंट स्वरूप नाग देवता मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा चढ़ाया जाता है। वहीं हिमगिरी माता मंदिर में मनाली के बावजूद लोग मंदिर में स्नान करने के लिए पहुंचे। हालांकि भीड़ अधिक नहीं थी लेकिन इसके बावजूद लोगों ने आस्था को मानते हुए यहां पर स्नान किया और संतान प्राप्ती की कामना की।

बता दें कि कोविड-19 के बचाव को लेकर प्रदेश सरकार, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी हिदायतों के चलते आयोजकों ने शाही स्नान में श्रद्धालुओं को रोकने को लेकर पुख्ता प्रबंध कर रखे थे। हालांकि कुछ श्रद्धालुओं के द्वारा शाही स्नान को त्याग कर वहां पर बह रही अमृत गंगा के छींटे शरीर पर फेंक आस्था को पूरा किया।

एसडीएम जोगेंद्रनगर डा मेजर विशाल शर्मा ने कहा कि कोरोना संक्रमण के फैलाव को नियंत्रण में रखने के लिए आयोजकों को कोविड के प्रोटोकोल के तहत ही पूजा अर्चना करवाने की हिदायत दी गई थी।

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