World Post Day: कसौली में आज भी सेवा में हैं ब्रिटिशकाल में स्‍थापित लेटर बाक्स, पर्यटकों के लिए भी है आकर्षण

World Post Day पहले टेलीफोन फिर मोबाइल फोन और अब इंटरनेट मीडिया के कई प्लेटफार्म संवाद के लिए होने के बावजूद डाक की अहमियत कम नहीं हुई है। किसी भी तरह के सरकारी या निजी दस्तावेज और पत्रों के लिए लोग आज भी डाक का इंतजार बेसब्री से करते हैं।

By Virender KumarEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 06:10 AM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 07:55 AM (IST)
World Post Day: कसौली में आज भी सेवा में हैं ब्रिटिशकाल में स्‍थापित लेटर बाक्स, पर्यटकों के लिए भी है आकर्षण
कसौली में आज भी सेवा में हैं ब्रिटिशकालीन लेटर बाक्स। जागरण

सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। World Post Day, पहले टेलीफोन फिर मोबाइल फोन और अब इंटरनेट मीडिया के कई प्लेटफार्म संवाद के लिए होने के बावजूद डाक की अहमियत कम नहीं हुई है। हालांकि चिट्ठी अब दूर प्रदेश में अपनों का हालचाल जानने का माध्यम नहीं रही, लेकिन किसी भी तरह के सरकारी या निजी दस्तावेज और पत्रों के लिए लोग आज भी डाक का इंतजार बेसब्री से करते हैं।

प्रदेश में ब्रिटिशकाल में स्थापित डाकघर व लेटर बाक्स आज भी अपने इतिहास की गवाही देते हैं। ब्रिटिश शासन में स्थापित कसौली, सुबाथू, शिमला आदि कई स्टेशनों में आज भी डाक संबंधी कई धरोहरें हैं, जिनका संरक्षण आवश्यक है। पर्यटन नगरी कसौली देश के सबसे पुराने छावनी क्षेत्रों में से एक है। यहां ब्रिटिश काल में स्थापित कई लेटर बाक्स आज भी सेवा में है। वहीं सुबाथू छावनी क्षेत्र जो शिमला से पहले स्थापित हो गया था, वहां पर हिमाचल के पहला उप डाकघर होने का भी दावा किया जाता है।

हालांकि कोई रिकार्ड न होने के कारण इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन यहां काम करने वाले कर्मचारी भी कहते हैं कि उन्होंने सुना है कि यह पहला डाकघर था। सुबाथू से संबंध रखने वाले साहित्यकार मदन गुप्ता सपाटू का भी कहना है कि सुबाथू छावनी शिमला से पहले स्थापित हो गई थी। उन्होंने भी दावा किया कि बुजुर्गों से सुना है कि जिस समय अंबाला डिविजन में डाकघर संचालित थे तो सुबाथू का उप डाकघर हिमाचल में पहला खुला था।

क्राउन लगे लेटर बाक्स हैं आकर्षण

1842 में स्थापित कसौली एक ऐतिहासिक छावनी रही है। 1857 की क्रांति का गवाह भी स्टेशन रहा है, जब 20 अप्रैल, 1857 को अंबाला राइफल डिपो के छह भारतीय सैनिकों ने कसौली थाना फूंककर क्रांति का बिगुल बजा दिया था। कसौली छावनी में आज भी ब्रिटिशकालीन कई धरोहरें देखने को मिलती हैं। इनमें दो लेटर बाक्स भी हैं, जो 1860 के आसपास स्थापित हुए हैं। लाल रंग के इन लेटर बाक्स को क्वीनस रायल मेल बाक्स व किंग्स रायल मेल बाक्स के नाम से भी जाना जाता है। एक मेल बाक्स कसौली क्लब में और दूसरा सदर बाजार में स्थापित है। ये पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी हैं। कसौली डाकघर के पोस्ट मास्टर संजय कुमार का कहना है कि ये लेटर बाक्स आज भी संचालित हैं। इनको रोजाना खोला जाता है। इनमें किंग व क्वीन के क्राउन लगे हुए हैं।

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