अमेरिका में भारतीयों ने हिंदी सिखाने के लिए खोल रखे हैं स्कूल, लंदन में कई अंग्रेज हिंदी में करते हैं बात

World Hindi Day विदेश में रह रहे कई भारतीय हिंदी से अपनापन नहीं भूले। अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय परिवार चाहे देश के किसी भी हिस्से से गए हों विदेश में हिंदी में बात करने को प्राथमिकता देते हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 08:10 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 08:10 AM (IST)
अमेरिका में भारतीयों ने हिंदी सिखाने के लिए खोल रखे हैं स्कूल, लंदन में कई अंग्रेज हिंदी में करते हैं बात
भारतीय परिवार चाहे किसी भी हिस्से से गए हों, विदेश में हिंदी में बात करने को प्राथमिकता देते हैं।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। विदेश में रह रहे कई भारतीय हिंदी से अपनापन नहीं भूले। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय परिवार, चाहे देश के किसी भी हिस्से से गए हों, विदेश में हिंदी में बात करने को प्राथमिकता देते हैं। अमेरिका में तो भारतीयों ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए स्कूल खोल रखे हैं। लंदन में कई अंग्र्रेज हिंदी बोलते हैं। हिंदी-उर्दू के जाने-माने शायर जाहिद अबरोल का कहना है कि अमेरिका में बेटी के पास जाकर उन्होंने देखा कि अमेरिकियों की भारतीय बाजार में ही नहीं, यहां के लोगों व हिंदी में भी रुचि है।

अमेरिका में बसे भारतीय परिवार चाहे वे देश के किसी भी हिस्से से गए हों, खूबसूरती की बात यह है कि वे लोग वहां हिंदी ही बोलते हैं। कुछ भारतीयों ने वहां स्कूल खोल रखे हैं, जो शनिवार और रविवार को खुलते हैं। इन स्कूलों में हिंदी  बोलना सिखाया जाता है। इस तरह ये लोग हिंदी को विदेश में भी बढ़ावा दे रहे हैं।

पद्मश्री से अलंकृत चित्रकार विजय शर्मा बताते हैं कि वह कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। लेकिन ब्रिटेन खासकर लंदन में कई अंग्र्रेज हिंदी में बात करते सुने जा सकते हैं। उन्होंने एक किस्सा जर्मनी से जुड़ा सुनाया। वहां चित्रकला प्रदर्शनी में हिस्सा लेने गए थे और रागमाला चित्र के पास खड़े थे। अचानक वहां एक जर्मन नागरिक चित्र से देखकर संस्कृत श्लोक बोलने लगा और उसने उनका हिंदी में अनुवाद भी सुनाया। यह प्रसिद्ध विद्वान बाओत्जे थे। दरअसल भारतीय चित्रकला का आधार ही रीति कालीन काव्य है। उन्हें हैरानी तब हुई जब जलपान के दौरान वहां केवल वाओत्जे ही नहीं, बल्कि कई जर्मन लोग केशव और बिहारी के काव्य से परिचित निकले।

अमेरिका में ही पेनसेल्विेनिया की राजधानी हैरिसबर्ग में वरिष्ठ इंजीनियर अवनीश कटोच कहते हैं कि उनके क्षेत्र में भारतीयों की संख्या कम होने के कारण रविवार पाठशाला यानी संडे स्कूल मंदिर में ही चलते हैं। कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां भारतीयों की संख्या अधिक होने पर स्कूलों में हिंदी विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है। उनका अनुभव है कि दक्षिण वाले हिंदी के बजाय अपनी भाषाएं अधिक बोलते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार से जुड़े लोग वहां के समाज में हिंदी के संरक्षक की भूमिका में हैं।

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