हिमाचल प्रदेश में आखिर क्यों बदले गए मुख्य सचिव अनिल खाची, पढ़ें पूरी खबर
बेशक वीरवार को कांग्रेस ने इस बात पर विधानसभा में हंगामा खड़ा किया कि सत्र के बीच ही मुख्य सचिव अनिल खाची को हटाना गलत है लेकिन हुआ वही जो सरकार चाहती थी। घटनाक्रम यह रहा कि मुख्य सचिव अनिल खाची को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया।
शिमला, जागरण टीम। बेशक वीरवार को कांग्रेस ने इस बात पर विधानसभा में हंगामा खड़ा किया कि सत्र के बीच ही मुख्य सचिव अनिल खाची को हटाना गलत है, लेकिन हुआ वही जो सरकार चाहती थी। घटनाक्रम यह रहा कि मुख्य सचिव अनिल खाची को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया और वरिष्ठता में उनके बाद आने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रामसुभाग सिंह को मुख्य सचिव बनाया गया।
क्योंकि अनिल खाची की सेवानिवृत्ति में अभी दो वर्ष बाकी हैं, इसलिए राज्य निर्वाचन आयुक्त जैसे स्वायत्त सांविधानिक पद को संभालने से पूर्व उनका स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना स्वाभाविक था। सो, राज्यपाल ने उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर मुहर भी लगा दी। मुख्य सचिव पद से एक व्यक्ति को हटा कर दूसरे को तैनात करना कांग्रेस के लिए व्यवस्था का प्रश्न था, लेकिन सरकार का जवाब यह था कि अधिकारियों में फेरबदल सरकार का विशेषधिकार है। नेता प्रतिपक्ष के इस सवाल पर कि सरकार छह-छह माह के बाद मुख्य सचिव क्यों बदल रही है, सरकार का जवाब था कि कांग्रेस भी ऐसा करती रही है।
मिशन रिपीट पर निगाहें
दरअसल, भीतरी सूत्र बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार मिशन रिपीट के लिए संगठन या सरकार ही नहीं, प्रशासन में भी फेरबदल करना चाहती थी। जाहिर है कि कहीं सरकार और नौकरशाही के शीर्ष के बीच वह समन्वय नहीं बन पा रहा था जिसे आदर्श कहते हैं। बीते दिनों मंत्रिमंडल की बैठक में ही मुख्य सचिव और एकमंत्री के बीच वाद-विवाद की नौबत भी आई थी। नए मुख्य सचिव राम सुभाग सिंह दैनिक जागरण के साथ सबसे पहले दो बातें कहते हैं। मुख्यमंत्री का आभार जताने के अलावा वह विकास और संवेदनशील प्रशासन देने का वादा करते हैं। जाहिर है, राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही अब अपनी ऊर्जा एक ही दिशा में लगाएंगे।
सम्मान बरकरार रखते हुए सलीके से हटाए मुख्य सचिव
प्रशासन और सरकार के स्वरों में समन्वय बनाने के लिए किए गए बदलाव में भी यह गौरतलब है कि समायोजन सलीके के साथ किया गया है। अनिल खाची को स्वायत्त सांविधानिक पद पर भेजा गया है। जाहिर है, इस बात का संतोष स्वयं अनिल खाची को भी होगा। यह भी संभव है कि आनेवाले दिनों में नौकरशाही में और बदलाव देखने को मिलें।