नहीं मिल रहे मजदूर, कैसे करें गेहूं की कटाई
जिले में सूखे अग्निकांड बिगड़े मौसम व मजदूर न मिलने से किसान चिंतित हैं।
अश्वनी शर्मा, जसूर
जिले में सूखे, अग्निकांड, बिगड़े मौसम व मजदूर न मिलने से किसान चिंतित हैं। अन्य राज्यों के अधिकतर घर लौट चुके हैं। जो यहां पर हैं वे भी कम ही खेतों का रुख कर रहे हैं। किसानों की मानें तो अभी करीब 50 फीसद फसल खेतों में खड़ी है।
मजदूरों न मिलने से फसल की कटाई करना मुश्किल हो रहा है। कई गांवों में बुखार व कोरोना के मामले सामने आए हैं। इस कारण स्थानीय मजदूर भी यहां जाने से कतरा रहे हैं। आए दिन बिगड़ता मौसम भी किसानों की मुसीबत बढ़ा रहा है। किसानों को फसल समेटने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जसूर व इंदौरा में किसानों को गेहूं की कटाई करवाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इस कारण उन्हें काफी दिक्कत हो रही है।
जिले में यह है कृषि की स्थिति
जिले में करीब 94 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती की जाती है। इसमें करीब 34 हजार हेक्टेयर भूमि सिचित व 60 हजार हेक्टेयर भूमि असिचित है। इस बार जनवरी से मार्च तक कम बारिश होने से असिचित क्षेत्र में गेहूं की फसल 15 दिन पहले ही तैयार हो गई है। कोरोना की दूसरी लहर ने फसल को समेटने में कठिनाई पैदा कर दी है। पहले आग ने कहर बरपाया और अब मौसम का बदलता मिजाज भी गेहूं की फसल पर भारी पड़ रहा है।
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अन्य राज्यों के कई मजदूर घर लौट चुके हैं। इस कारण किसानों को फसल की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। मौसम भी उनकी परेशानी बढ़ा रहा है।
-बलराम सिंह
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किसानों ने महंगा बीज खरीदकर गेहूं की बिजाई तो कर दी लेकिन समय पर बारिश न होने से उन्हें इसकी लागत भी पूरी होती नहीं दिख रही है। मजदूरों के बिना फसल की कटाई नहीं हो पा रही है।
-सुच्चा सिंह गिल
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पिछले वर्ष की तुलना में इस बार गेहूं की बिजाई करने में दोगुना खर्च हुआ है। किसान को इस बार भी नुकसान झेलना पड़ा है। सरकार को इसका आकलन करवाना चाहिए।
-गणेश पराशर
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बीज, खाद व कीटनाशक के दाम में काफी वृद्धि हो चुकी है। इस बार सूखे व कोरोना से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है। फसल की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
-सतवीर सिंह