महासंघ के विनोद गुट ने मान्यता पर उठाए सवाल

हिमाचल सरकार से मान्यता प्राप्त अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पर समानांतर संगठन के विनोद गुट ने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा जताया कि उनका (विनोद कुमार) संगठन ही असली महासंघ है। शिमला में पत्रकारों से बातचीत में विनोद कुमार ने कहा कि उन्होंने सरकार को नोटिस दिया है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 09:52 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 09:52 PM (IST)
महासंघ के विनोद गुट ने मान्यता पर उठाए सवाल
महासंघ के विनोद गुट ने मान्यता पर उठाए सवाल। जागरण

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल सरकार से मान्यता प्राप्त अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पर समानांतर संगठन के विनोद गुट ने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा जताया कि उनका (विनोद कुमार) संगठन ही असली महासंघ है। इस संबंध में शिमला में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में विनोद कुमार ने कहा कि उन्होंने सरकार को नोटिस दिया है। यह नोटिस मुख्य सचिव और सचिव कार्मिक को दिया गया है। अगर 21 दिन में सरकार ने मान्यता देने का फैसला नहीं बदला तो वे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। इसके बाद कर्मचारी सड़कों पर उतरेंगे। शिमला स्थित राज्य सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने अश्वनी ठाकुर के महासंघ की मान्यता के बहाने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार क्षेत्र विशेष को तबज्जो दे रही है। विनोद ने कहा कि प्रदेश के पौने तीन लाख कर्मचारी सरकार से अंदर खाते नाराज हैं।

पहले भी होते थे गुट

उन्होंने कहा कि गुट पहले भी होते थे, लेकिन सरकार सभी को साथ लेकर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांगे जस की तस है। उन्होंने आशंका जताई कि महासंघ को मान्यता देने के नाम पर नए वेतन आयोग की सिफारिशों को को डीङ्क्षलक करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कर्मचारियों को 11 फीसद महंगाई भत्ता तत्काल जारी किया जाए।

महासंघ में छिड़ा महाभारत

-कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना, अपनी ही सरकार को दिखा रहे आंखें

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ में फिर महाभारत छिड़ गया है। कर्मचारी परिसंघ से छिटक कर महासंघ की राजनीति में आए विनोद कुमार विपक्ष की भूमिका में आ गए हैं। अपनी ही सरकार में वह निलंबन जैसी कार्रवाई भी झेल चुके हैं। महासंघ की मान्यता के नाम पर उन्होंने सरकार, सिस्टम पर भी चोट की है। ऐसे में उन्होंने सरकार की सहानुभूति से हाथ धो दिए हैं। साढ़े तीन साल महासंघ तीन गुटों में बंटा रहा। इसका खामियाजा कर्मचारियों ने भुगता। इनके असल मुद्दे गौण हो गए। अब जबकि सरकार संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाने की तैयारी कर रही, मान्यता पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है।

मच्छान, जोगटा की सराहना की

विनोद गुट के नेताओं के अनुसार कांग्रेस की पूर्व वीरभद्र सरकार व भाजपा की पूर्व धूमल सरकार में भी गुटबाजी होती थी। उन्होंने भरमौरिया, सुरेंद्र गुट, जोगटा और मनकोटिया गुट का तो जिक्र किया, पर इन्हें लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ नेता करार दिया। कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में कर्मचारियों का उत्पीडऩ हुआ, पर धूमल सरकार ने सबसे पहले ऐसे मामलों को ठीक किया।

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