किसान परेशान, राहगीर की आफत में जान
कमलजीत डाडासीबा बेसहारा पशुओं को ठिकाना दिलाने के सभी सरकारी दावे धरातल पर धराश्
कमलजीत, डाडासीबा
बेसहारा पशुओं को ठिकाना दिलाने के सभी सरकारी दावे धरातल पर धराशाही होते हुए नजर आ रहे हैं। चाहे सरकार सदन बनाने की बात करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर काम होता ही नहीं दिख रहा है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। डाडासीबा क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की बढ़ती तादाद से किसान परेशान हैं। स्थिति यह है कि लोगों का सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। रात को पशु खेतों में फसलों को तबाह कर रहे हैं, इस कारण ग्रामीणों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। अगर समय रहते समस्या से निपटने के प्रयास नहीं किए गए तो किसानों को खेतीबाड़ी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। किसानों को परेशान करने के साथ-साथ सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु सड़क हादसों को न्योता दे रहे हैं। पशुओं की बढ़ती तादाद लोगों के लिए समस्या का कारण बन रही है सरकार को इस पर गौर करना चाहिए। अब लोग फसलें बीजने से भी डरने लगे हैं
अशोक मेहरा। बेसहारा पशुओं की वजह से खेतीबाड़ी करना मुश्किल हो गया है। महंगे बीज व खाद खेतों में डालने के बाद भी मेहनत इससे नहीं आ रही सरकार को इस समस्या का स्थाई हल करना चाहिए।
अजय कुमार। सरकार ने किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, लेकिन यह योजनाएं तब तक सिरे नहीं चढ़ सकती, जब तक बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई जाती।
लाजपत राय।
सड़कों पर बेसहारा पशुओं का जमावड़ा दुर्घटनाओं का कारण बनता है। कई बार पशु एकदम से वाहन के आगे आ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं पेश आती हैं। समस्या का समाधान होना चाहिए।
कश्मीर सिंह । मौसम की मार तो कभी बेसहारा पशु फसलों को चट कर रहे हैं तो कभी जंगली जानवर अब खेती करना मुश्किल हो गया है ।
राजिद्र कुमार। बेसहारा पशु परेशानी का सबब बने हुए हैं, लेकिन प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। प्रशासन व सरकार को भी बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए जल्द कठोर कदम उठाना चाहिए
घनश्याम।